माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) लेटिन भाषा का शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना हैMitos = thread ,chondrion= granul) शब्दो से मिलकर बना है। इस लिए इसे सूत्रकणिका भी कहते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया की खोज (Detection of Mitochondria)
- सर्वप्रथम कोलिकर ने वर्ष 1990 इन्हें कीटों की रेखित पेशियों में देखा था।
- फ्लेेमिंग (1882) उन्हें फाइलिया तथा आर. अल्टमान (1894) ने बायोब्लास्ट नाम दिया। इनकी खोज का श्रेय फ्लेमिंग एवं अल्टमान को दिया जाता है।
- सी. बेंडा (1897) ने इन्हें माइटोकॉन्ड्रिया नाम दिया।
- सर्वप्रथम पादप कोशिकाओं (Plant cell) में एफ.मिविस (1904) में इनकी उपस्थिति देखी।
माइटोकॉन्ड्रिया का आकार (Mitochondria size)
- इनका आकार गोलाकार, छडीनुमा अथवा धागेनुमा संरचनाएं होती है।
- इनकी औसत लम्बाई 5 से 8 माइक्रोन और व्यास 0.5 से 1 माइक्रोन होता है।
- सामान्यतः इनकी संख्या एक कोशिका में 50 से 5000 तक हो सकती है।
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना (Structure of Mitochondria)
माइटोकॉन्ड्रिया केवल यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पाये जाते हैं
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया का अभाव रहता हैं।
माइक्रोस्टेरीयाज नामक शैवाल की कोशिका में एक एवं कुछ एककोशिक जीवों 500000 तक इनकी संख्या पाई जाती है।
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) एक दोहरी झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग है। बाह्यकला झिल्ली चिकनी व समतल होती है। जबकि अंत:कला (आन्तरिक झिल्ली) में कई अंगुली के समान उभार पाये जाते हैं जो किरीटी, शिखी या क्रिस्टी (Cristae) कहलाते हैं। क्रिस्टी की सतह पर असंख्य संवृत कण लगे होते हैं। इन कणों को ऑक्सीसोम कहते हैं। क्रिस्टी के मध्य भाग को आधात्री या मेट्रिक्स (Matrix) कहते हैं
अंत:कला एवं बाह्यकला के बीच 6 से 8 नैनो मीटर की दूरी होती है। क्रस्टी के कारण माइटोकॉन्ड्रिया की गोलाकार, नग्न होता है। इसमें G+C की मात्रा A+T की तुलना में अधिक होती है। माइटोकॉन्ड्रिया में अपने समान नये माइटोकॉन्ड्रिया बनाने अर्थात स्वत: जनन की क्षमता होती है। यह क्षमता केवल कोशिकाद्रव्य के अन्दर रहकर ही है। स्वतंत्र रूप से संभव नहीं है। अंत इनको अर्धस्वायत्तशासी (Semiautonomous) कोशिकांग कहा जाता है।
माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित पदार्थ (Substance present in Mitochondria)
संगठन में प्रोटीन 65% - 70%, फॉस्फोलिपिड 25% आरएन 0.5% कुछ मात्रा में डीएनए पाया जाता हैमाइटोकॉन्ड्रिया में पाये जाने वाले एंजाइम श्वसन में खाद्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य (Functions of Mitochondria)
- माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस या ऊर्जा घर कहां जाता है इसमें ऑक्सीश्वसन के दौरान निकलने वाली ऊर्जा एडिनोसीन ट्राईफॉस्फेट (ATP) के रूप में संचित रहती है। जब कोशिका को विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है तो यह है एडिनोसिन ट्राई फास्फेट (ATP) एडिनोसिन डायफॉस्फे गईट अणु एवं ऊर्जा में टूट जाती है।
- यह क्रेब्स चक्कर (Krebs cycle) ग्लाइकोलाइसिस के द्वारा ग्लूकोज अणु दो पाइरूविक अणुओं में टूट जाता है जिनका ऑक्सीकरण एक चक्रीय पथ के रूप में मैट्रिक्स में उपस्थित विभिन्न श्वसन एंजाइमों के द्वारा होता है जिसे के क्रेब्स चक्र (Krebs cycle) कहते हैं
- ऑक्सीफॉस्फोरिलेशन यह क्रिया ऑक्सीसोम कणों में होती है जो माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) की भीतरी दिल्ली पर स्थित होते हैं
- माइटोकॉन्ड्रिया प्रकाशीय श्वसन (Photorespiration) की क्रिया में भाग लेने वाला एक प्रमुख कोशिकांग है
पादप कोशिका एवं जन्तु कोशिका में अन्तर
वनस्पति विज्ञान की विभिन्न शाखाएं
Best knowledge
ReplyDeleteMaja agya
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