श्वसन तंत्र की प्रक्रिया व प्रकार : Respiratory system in hindi

 श्वसन (Respiration)

श्वसन में हम पहले साँस द्वारा वायु को शरीर के अंदर ले जाते हैं। वायु में ऑक्सीजन होती है। हम साँस छोड़ते हुए वायु को शरीर से बाहर निकालते हैं। 
इस वायु में साँस द्वारा अंदर ली गई वायु की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है, जिस वायु को साँस द्वारा अंदर लेते हैं, उसमें उपस्थित ऑक्सीजन शरीर के सभी भागों में और अंततः प्रत्येक कोशिका में ले जायी जाती है। कोशिकाओं में यह ऑक्सीजन भोजन के विखंडन में सहायता करती है। कोशिका में भोजन के विखंडन के प्रक्रम में ऊर्जा मुक्त होती है। इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं। 
सभी जीवों की कोशिकाओं में कोशिकीय श्वसन होता है। कोशिका के अंदर, भोजन (ग्लूकोस) ऑक्सीजन का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडित हो जाता है।
समीकरण : भोजन (ग्लूकोस) + ऑक्सीजन →कार्बन डाइऑक्साइड + जल 

Respiration : श्वसन तंत्र की प्रक्रिया व प्रकार : Respiratory system in hindi


हम श्वसन क्यों करते हैं?

सभी जीव सूक्ष्म इकाइयों के बने होते हैं, जिन्हें कोशिकाएँ कहते हैं। कोशिका जीव की सबसे छोटी संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है। जीव की प्रत्येक कोशिका पोषण (Nutrition), परिवहन (Transport), उत्सर्जन ( Excretion) और जनन (Reproduction) इन कार्यों को करने के लिए कोशिका को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। लेकिन यह ऊर्जा आती कहाँ से है? भोजन में संचित ऊर्जा श्वसन के समय निर्मुक्त होती है। अतः सभी जीवों को भोजन से ऊर्जा से प्राप्त करने के लिए श्वसन की आवश्यकता होती है।

श्वसन का अर्थ एवं आवश्यकता (Meaning and necessity of respiration)

संजीव कोशिकाओं को निरंतर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए जीव शव संक्रिया करता है शोषण में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2) को कोशिकाओं से बाहर निकालना आवश्यक होता है श्वसन प्रत्येक जीवित कोशिका का प्रमुख लक्षण है। यह क्रिया दिन व रात चलती रहती है तब भी जब हम कोई भी कार्य नहीं करते।
  • वायवीय जीवों को जीवित रहने हेतु ऑक्सीजन (O2) की आवश्यकता होती है क्योंकि ऑक्सीजन ही कार्बनिक भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण या विघटन करके ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • पोषक पदार्थों के ऑक्सीकरण की यह प्रक्रिया कोशिकीय श्वसन कहलाती है।
  • पादप श्वसन में ऑक्सीजन का अर्न्तग्रहण रंध्रों द्वारा किया जाता है, जो बाद में कोशिका स्तर पर शोषण में काम आती है। जबकि जन्तुओं में इस कार्य हेतु श्वसनांगों का जटिल तंत्र कार्य करता है।
  •  इस क्रिया में शर्करा या गुलकोज का ऑक्सीकरण होता है। जिसके फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल बनते हैं तथा ऊर्जा का निष्कासन होता है। ऊर्जा ए.टी.पी. (ATP)( एडिनोसिन ट्राई फास्फेट) “ऊर्जा मुद्रा” के रूप में संचित होती जाती है। इस ऊर्जा का उपयोग सब्जियों द्वारा शरीर को सुचारू रूप से चलाने के काम आता है। श्वसन क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति तथा अनुपस्थिति दोनों में हो सकती है।

श्वसन की तुलना दहन से कर सकते हैं-


  • श्वसन और दहन दोनों में कार्बनिक योगिक अपघटित होते हैं और ऊर्जा निकलती हैं।
  • श्वसन और दहन दोनों में कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनता है।
  • दहन और श्वसन दोनों को जलने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

श्वसन व दहन में अंतर को निम्नलिखित सारणी स्पष्ट किया गया है।
श्वसन (Respiration) दहन (Combustion)
यह सामान्य ताप पर (37°C) कार्य करता है। दहन के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है। 
यह मंद प्रक्रिया है। यह तेज प्रक्रिया है।
भोजन के अवस्थाएं होती है। इसमें ईंधन सीधा ही कार्बन डाइऑक्साइड व पानी बनता है।
इसमें एन्जाइम्स का नियंत्रण होता है। इसमें एन्जाइम्स का नियंत्रण नहीं होता है।
इसमें ऊर्जा ATP के रूप में संचित रहती है। इसमें ऊर्जा, उष्मा व कभी-कभी प्रकाश के रूप में मुक्त होती है।

  • सभी जीवों की कोशिकाओं में कोशिकीय श्वसन होता है। कोशिका के अंदर, भोजन (ग्लूकोस) ऑक्सीजन का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडित हो जाता है।

श्वसन के प्रकार

जीवों में कोशिकीय श्वसन दो प्रकार में विभाजित किया गया है।

  1. वायवीय श्वसन या ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)
  2. अवायवीय श्वसन या अनॉक्सीश्वसन (Anaerobic Respiration)

1. वायवीय श्वसन या ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)

 जब ग्लूकोस का विखंडन ऑक्सीजन के उपयोग द्वारा होता है, तो यह वायवीय श्वसन कहलाता है 
समीकरण : ग्लुकोज़ + ऑक्सीजन → कार्बन डाइऑक्साइड+ जल+ (ATP) ऊर्जा 
उदाहरण : इस प्रकार का श्वसन अधिकांश पादपों व जन्तुओं में पाया जाता हैं।

2. अवायवीय श्वसन या अनॉक्सीश्वसन (Anaerobic Respiration)

ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी भोजन विखंडित हो सकता है। यह प्रक्रम अवायवीय श्वसन कहलाता है। भोजन के विखंडन से ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
समीकरण : ग्लुकोज़ → एथेनॉल + कार्बन डाइऑक्साइड + ऊर्जा
उदाहरण : इस प्रकार का श्वसन यीस्ट, जीवाणुओं, परजीवियों तथा कुछ निम्न स्तर के जंतुओं में होता है।

यीस्ट एक कोशिकीय जीव है। यीस्ट अवायवीय रूप से श्वसन करते हहैं और इस प्रक्रिया द्वारा ऐल्कॉहॉल का निर्माण करता है। अतः इनका उपयोग शराब (वाइन) और बियर बनाने के लिए किया जाता है।
मांसपेशियों में ऐंठन क्यों होती है?  
ऐंठन तब होती है, जब पेशियाँ अवायवीय रूप से श्वसन करती हैं। इस प्रक्रम में ग्लूकोस के आंशिक विखंडन से लैक्टिक अम्ल और कार्बन डाइऑक्साइड बनते हैं। लैक्टिक अम्ल का संचयन पेशियों में ऐंठन उत्पन्न करता है।
  • व्यायाम करते समय हमारे शरीर में कुछ  पेशियां अवायवीय श्वसन क्रिया करती हैं।  


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