प्रत्यावर्ती धारा जनित्र का सिद्धांत , संरचना एवं कार्यविधि
आपने अपने घरों में बिजली की आपूर्ति कैसे होती हैं। इसका जवाब एसी जनरेटर (AC Generator ) हैं। लेकिन क्या आपने कभी एसी जनरेटर को काम करते देखा है? और एसी जनरेटर (AC Generator) कार्य कैसे करता है। इसका विस्तार से विवरण करते हैं।
एसी जनरेटर सिद्धांत क्या है (Principle of AC Generator)
(एसी जनरेटर का सिद्धांत)
ऐसे साधन जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते है, उसे विद्युत जनित्र (Dynamo) कहलाते हैं। ये विद्युत चुम्बकीय प्ररेण (Magnetic prairie) के सिद्धांत पर कार्य करते हैं।
AC Generator parts
प्रत्यावर्ती धारा (AC) जनित्र के मुख्यतः चार भाग होते हैं।
EMF एसी जनरेटर में प्रेरित है यदि N ध्रव और क्षेत्र A का तार एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B मे प्रति सेकंड v परिक्रमण पर घुमाया जाता हैं।
तो उत्पादित विद्युत वाहक बल e= NBA (2πV)sin(2πv)t
समय (t) = 0
प्रेरित EMF की दिशा लेंज़ के नियम या फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम द्वारा दी गई हैं।
- क्षेत्र चुम्बक
- आर्मेचर या कुण्डली
- सर्पीवलय
- ब्रुश
- क्षेत्र चुम्बक ( field magnet)—एक जनरेटर में दो ध्रुव होते हैं। एक चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव और उत्तरी ध्रुव होते है जो एक समान चुम्बकीय क्षेत्र रख सके। इनका आकार आयताकार होता है। एक अति शक्तिशाली नाल के आकार का चुम्बक N S होता हैं जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते हैं।
- आर्मेचर या कुण्डली ( armature or coil)— यह कच्चे लोहे के ढाँचे पर लिपटी विद्युत रोधी तांबे की कुण्डली PQRS होती हैं।
- सर्पीवलय (slip ring) कुण्डली के सिरे A व D को अलग - अलग पृथक्कित धात्विक वलय S1 व S2 से जोड़ दिये जाते हैं। ये वलय कुण्डली के घूमने से उसके साथ - साथ घूमते हैं।
- ब्रुश ( Brushes)— ये कार्बन या किसी धातु की पत्तियों से बने दो ब्रुश होते हैं। जिनका एक सिरा तो वलयों को स्पर्श करता हैं तथा दूसरा सिरों को बाहरी परिपथ से सयोजित कर दिया जाता हैं।
एसी जनरेटर का कार्यविधि
एसी जनरेटर की कार्यविधि निम्न प्रकार हैं।जब आर्मेचर को यांत्रिक ऊर्जा देकर धुमाया जाता है तो कुडण्ली ABCD से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तिन होता हैं जिससे कुण्डली के सिरो के बीच प्रेरित धारा बहती हैं
जब कुण्डली को दक्षिणावर्त घुमाते हैं कुण्डली का तल बार - बार चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर व लम्बवत् होता हैं। चूँकि प्रथम आधे च्रक में फ्लक्स की मात्रा घटती हैं, इस प्रकार प्रथम आधे घूर्णन में धारा की दिशा बाह्य परिपथ में दक्षिणावर्त (clockwise) होती है और अगले आधे घूर्णन में वामावर्त (Counter-clockwise) होती हैं। अर्थात् प्रथम आधे च्रक में बाह्य परिपथ में धारा B1 व B2 की और शेष आधे च्रक में B2 व B1 की ओर बहती हैं। इस प्रकार आर्मेचर के पूर्व घूर्णन में निश्चिश्त कालांतर के बाद धारा की दिशा बदलती हैं तथा इस दौरान धारा का मान भी नियमित रूप से बदलता है ऐसी धारा प्रत्यावर्ती धारा (AC) कहलाती हैं। प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से उत्पन्न धारा का मान कुण्डली में फेरों की संख्या,कुडण्ली के क्षेत्रफल (Area) ,घूर्णन वेग व चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता हैं
EMF Induced in An AC Generator
एसी जनरेटर का विद्युत वाहक बल सिद्धांत रूप में किसी विद्युत जनित्र में तार की बनी एक कुडण्ली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता हैं ,इससे कुडण्ली से संबद्ध चुम्बकीय फलक्स (Magnetic flux) में परिवर्तित होता हैं एवं उसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता हैं। जो कुडण्ली तथा इससे सयोजित लोड परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित करता हैं।किसी परिपथ के दो खुले सिरों (टर्मिनल)के बीच इकाई आवेश को प्रवाहित करने में किये गये कार्य की मात्रा को उन दो बिंदुओं के बीच का विद्युत वाहक बल कहते हैं।विद्युत वाहक बल का मात्रक वोल्ट होता हैं।
EMF एसी जनरेटर में प्रेरित है यदि N ध्रव और क्षेत्र A का तार एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B मे प्रति सेकंड v परिक्रमण पर घुमाया जाता हैं।
तो उत्पादित विद्युत वाहक बल e= NBA (2πV)sin(2πv)t
समय (t) = 0
प्रेरित EMF की दिशा लेंज़ के नियम या फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम द्वारा दी गई हैं।
फ्लेमिंग दाहिने हाथ का नियम (Fleming's left hand Rule)
यदि बायें हाथ की तर्जनी , मध्यमा और अँगूठे को एक दूसरे के लम्बवत् फैलायी जाय और तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो एव मध्यमा चालक (conductor) में बहने वाली धारा की दिशा में हो तो उस चालक पर लगने वाला बल चुम्बकीय बल अँगूठे की दिशा में होगा
AC Generator / Alternator मे दो प्रकार के रोटर (Roter) का उपयोग किया जाता हैं।
- लवण लवण का उपयोग निम्न और मध्यम गति के Alternator मे किया जाता हैं।
- बेलनाकार बेलनाकार रोटर का उपयोग उच्च गति Alternator मे किया जाता हैं।
भारत में प्रत्यावर्ती धारा का मान
भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृति 50 हटर्ज है अतः प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से 50 हटर्ज आवृति वाली धारा उत्पन्न करने के लिए कुण्डली को एक सेकण्ड में 50 बार जाता हैं
AC Generator in hindi
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