प्राथमिक सेल और द्वितीयक सेल में अंतर primary cell and secondary cell in hindi

प्राथमिक सेल और द्वितीयक बैटरी किसे कहते हैं 

प्राथमिक सेल (primary cell) एक प्रकार के विद्युत रसायनिक सेल है जिन बैटरियों को पुनः आवेशित करके पुनः विद्युत ऊर्जा ली जा सकती हैं उन्हें पुनर्भरणीय बैटरी (rechargeable battery)कहा जाता हैं

प्राथमिक सेल  Primary Cell introduction 

प्राथमिक सेल (primary cell) एक प्रकार के विद्युत रसायनिक सेल है जो कम बिजली से चल सकने वाले विद्युत युक्तियों है जिसमें ( टार्च, कैलकुलेटर, रेडियो आदि) में प्रयुक्त होते है।

प्राथमिक सेल की संरचना

इनके अन्दर जो विद्युत अपघट्य (electrolyte) उपयोग में लाया जाता हैं इसमें किसी द्रव का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि लई जैसा कम नमी वाला होता हैं।जिसके कारण इसे "शुष्क सेल" भी कहा जाता हैं।
इन सेलों से रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित की जा सकती हैं। परंतु विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में नहीं  बदला जा सकता हैं।
अर्थात् इन सेलों को पुनः आवेशित (चार्ज) नहीं कर सकते हैं।

इन सेलों के रासायनिक प्रदार्थो में होने वाली रासायनिक   अभिक्रियाएँ अनुत्क्रमणीय (Ineligible) होती हैं।प्राथमिक सेल के उदाहरण —

  1. शुष्क सेल (Dry cell)
  2. वोल्टीय सेल (Voltaic cell)
  3. लेक्लांशी सेल (leclanic cell)
  4. डेनियल सेल (Daniel cell)

शुष्क सेल (dry cell)—  बनावट (construction)-प्राथमिक सेल की बनावट निम्नलिखित प्रकार की होती हैं।इसमें एक जस्ते का बेलनाकार पात्र होता है। जो ऋण ध्रुव (-) की तरह कार्य करता हैं।इस पात्र में अन्दर की दीवारों पर अमोनिया क्लोराइड (NH4Cl) , जिंक (zn) क्लोराइड एवं गोंद का पेस्ट का गाढ़ा लेपन होता हैं।
बेलनाकार पात्र के मध्य में एक  कार्बन (C) और डाइ ऑक्साइड  चूर्ण के मिश्रण से भरी एक मखमल की थैली होती हैं।
बेलनाकार पात्र के बीचों बीच कार्बन की छड़ रखी होती हैं। जिसका ऊपरी सिरा बाहर निकला होता हैं। जो कार्बन (C) की छड़ के ऊपरी सिरे पर पीतल की एक टोपी लगी होती हैं। कार्बन की छड़ धन ध्रुव (+) की तरह व्यवहार करती हैं। बेलनाकार पात्र के मुख को चिपड़ी या गोंद आदि से बंद कर देते हैं। इस बेलनाकार पात्र पर बारिक छिद्र रखा जाता है  ताकि अमोनिया (Nh3) गैस बाहर निकल सके।

प्राथमिक सेल क्रिया विधि (Primary cell working)—इस सेल में जस्ता,अमोनिया क्लोराइड (Cl) से रासायनिक क्रिया कर अमोनिया और हाइड्रोज आयन प्रदान करती है। 
इसमें से अमोनिया  वायुमण्डल में चली जाती है और हाइड्रोज (H) आयन कार्बन (C) को आवेश प्रदान कर ऑकसीकृत होकर जल में परिवर्तित हो जाता हैं।

नोट— 

  • प्राथमिक सेल में हाइड्रोज (H) की पानी में परिवर्तित होने की क्रिया धीमी होती हैं ।
  • इसका विद्युत वाहक बल 1.5 वोल्ट (volt) होता हैं।
  • इसका 0.25 ऐम्पियर (Ampere) की धारा ली जा सकती हैं।

द्वितीयक सेल

जिन बैटरियों को पुनः आवेशित करके पुनः विद्युत ऊर्जा ली जा सकती हैं उन्हें पुनर्भरणीय बैटरी (rechargeable battery)कहा जाता हैं इन्हें द्वितीयक सेल (secondary sell)कहा जाता हैं। rechargeable बैटरियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं। छोटी बैटरी से लेकर मेगावाट शक्ति प्रदान करने वाली बैटरी भी होती हैं 

द्वितीयक सेल की संरचना

इन सेलों में विद्युत ऊर्जा (Electrical energy) को रासायनिक ऊर्जा (chemical energy) में तथा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकते हैं।अर्थात् इन सेलों को एक बार उपयोग में लेने के बाद पुनः आवेशित कर सकते हैं। इन सेलों में रासायनिक क्रिया उत्क्रमणीय (Reversible) होता हैं।
उदाहरण :- एडीसन सेल (Basic ) एवं लोहा निकल सेल, सीसा संचायक सेल

Secondary cell construction

सीसा संचायक सेल (Lead Accumulator) इसमें कई ग्रिडनुमा ( जालीदार) सीसे की पट्टियाँ होती हैं। जिनमें लेडमोनोऑक्साइड ( लिथार्ज,pbo)और गन्धक अम्ल का पेस्ट भर दिया जाता हैं। ये पट्टियाँ एकान्तर क्रम में आपस में जुड़ी होती हैं। पट्टियाँ को तनु गन्धक - अम्ल ( सल्फयूरिक अम्ल H2so4)से (आपेक्षिक घन्तव 1.18)भरे काँच आयताकार बर्तन में डुबोकर रखा जाता हैं पट्टियाँ पर चढ़ा लिथार्ज,गन्धक से क्रिया करके लेड सल्फेट(PbO2) बना देता है

Pbo+h2so4 → pbso4  +h2o

आवेशित करना (charging of the cell) 

इन सेल को विद्युत स्त्रोत या battery चार्जर से चार्ज में जोड़ देते हैं। सेल में धारा प्रवाहित होने के कारण अम्लीय जल का विद्युत अपघटन होता हैं।
              H2so4     →    2H+    +    so4--
हाइड्रोज आयन (2h+) ऋण प्लेट की और तथा सल्फेट आयन (so4- -) धन  प्लेट की और चलने लगते  है। 

नोट 

  1. सेल पूर्णतया आवेशित होने पर गन्धक के तनु अम्ल का आपेक्षिक घन्तव 1.18 से बढ़कर 1.25 हो जाता है 
  2. सेल का विद्युत वाहक बल 2.2 volt हो जाता हैं।

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