वाक्यांश के लिए एक शब्द
एक वाक्य का अर्थ रखतें हैं। भाषा में कई वाक्य के शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग बोलने में करते हैं हम भाषा को प्रभावशाली व आकर्षक बनाते हैं। यहां पर आने शब्दों के के लिए एक शब्द का के अनेक उदाहरण पर विचार करेंगे।
आजकल सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में प्रश्न पुछे जाने लगे हैं। RPSC, PATWAR, 1,2 GRADE SCHOOL TEACHER EXAM आदि परीक्षाओं में वाक्यांश के लिए एक शब्द के प्रश्न आते हैं।
वाक्यांश के लिए एक शब्द (A word for phrase)
- जो पहले जन्मा हो - अग्रज
- जो इंद्रियों द्वारा न जाना जा सके - अगोचर
- जो बहुत गहरा हो - अगाध
- जिसकी गहराई का पता न लग सके - अथाह
- जिसको जाना न जा सके - अज्ञेय
- जिसको जीता न जा सके - अजय
- जिसका कोई शत्रु न जन्मा हो - अजातशत्रु
- जिसका चिंतन न किया जा सके - अचिन्त्य
- धरती और आकाश के बीच का स्थान - अंतरिक्ष
- जो छुआ न गया हो - अछुता
- जो छूने योग्य न हो - अछूत
- जो अपने स्थान या स्थिति से अलग न किया जा सके - अच्युत
- इंद्रियों की पहुंच से बाहर - अतींद्रिय
- सीमा का अनुचित उल्लंघन - अतिक्रमण
- किसी बात को अत्यधिक बढ़ाकर कहना - अतिशयोक्ति
- जो व्यतीत हो गया हो - अतीत
- जिसको त्यागा न जा सके - अत्याज्य
- जिसके बराबर दूसरा न हो - अद्वितीय
- जो आज तक से संबंध रखता हो - अद्यतन
- जो अब तक से संबंध रखता हो। - अधुनातन
- आदेश जो एक निश्चित अवधि तक ही लागू हो - अध्यादेश
- वह सूचना जो सरकार के प्रयास से जारी हो - अधिसूचना
- विधायिका द्वारा स्वीकृत नियम। - अधिनियम
- वह स्त्री जिसके पति ने दूसरी शादी कर ली हो। - अध्यूढ़ा
- पहाड़ के ऊपर की समतल जमीन - अधित्यका
- पहाड़ के नीचे की समतल जमीन - उपत्यका
- वास्तविक मूल्य से अधिक लिया जाने वाला शुल्क - अधिशुल्क
- किसी संप्रदाय या सिद्धांत का समर्थन करने वाला - अनुयायी
- किसी प्रस्ताव का समर्थन करने की क्रिया - अनुमोदन
- जिसका अनुभव किया गया। - अनुभूत
- जो बिना अंदर के घटित हो। - अनंतर
- जिसका जन्म निम्न वर्ण में हुआ हो। - अन्त्यज
- परंपरा से चली आई कथा। - अनुश्रुति
- जो बात लोगों से सुनी गई हो। - जनश्रुति
- जिसका कोई दूसरा उपाय न हो। - अनन्योपाय
- जिसका भाषा द्वारा वर्णन न किया जा सके - अनिर्वचनीय
- जिसका विरोध न हुआ हो या न हो सके है - अविरोधी/अनिरुद्ध
- जिसे भुलाया न गया हो। - अनाहूत
- जो ढका हुआ न हो। - अनावृत
- जो दोहराया न गया हो। - अनावर्त
- अविवाहित महिला। - अनूढ़ा
- पहले लिखे गए पत्र का स्मरण कराने हेतु लिखा गया पत्र - अनुस्मारक
- जो श्रेष्ठ गुणों से युक्त न हो। - अनार्य
- जो सबके मन की बात जानता हो - अंतर्यामी
- महल का वह भाग जहां रानियाँ निवास करती हैं - अन्त:पुर
- जिसे किसी बात का पता न हो। - अनभिज्ञ
- जो कुछ नहीं जानता हो। - अज्ञ
- जो सब कुछ जानता हो - सर्वज्ञ
- जिसका मन कहीं अन्यत्र लगा हो - अन्यमनस्क
- जो मापा न जा सके - अपरिमेय
- नीचे की ओर खींचना। - अपकर्ष
- जो स्त्री सूर्य भी न देख सके - असूर्यम्पश्या
- ऊपर की ओर उठाना, लाना या खींचना - उत्कर्ष
- जो सामने न हो - परोक्ष/अप्रत्यक्ष
- आवश्यकता से अधिक धन का ग्रहण न करना। - अपरिग्रह
- जिसकी आशा न की गई हो। - अप्रत्याशित
- जिस पर अपराध करने का आरोप हो। - अभियुक्त
- जो भोजन रोगी के लिए निषद्ध है। - अपथ्य
- जो कानून या विधि के विरुद्ध हो - अवेध
- जो कहने, सुनने,देखने में लज्जा पूर्ण हो। - अश्लीन
- फेंक कर चलाया जाने वाला हथियार। - अस्त्र
- हाथ में पकड़ कर चलाया जाने वाला हथियार। - शस्त्र
- जो सहनशील न हो। - असहिष्णु
- जो प्रमाण द्वारा सिद्ध न हो - अपरिमेय
- जिसके पास कुछ भी न हो - अकिंचन
- जिसकी कामनाएं पूर्ण हो गई हो - आप्तकाम
- किसी बात पर बार-बार जोर देना - आग्रह
- वह स्त्री जिसका पति परदेश से लोटा हो। - आगतपतिका
- जिसकी भुजाएं घुटनों तक लंबी हो - आजजानुबाहु
- जो शीघ्र प्रसन्न हो जाए। - आशुतोष
- सिर से पांव तक। - आपादमस्तक
- प्रारंभ से लेकर अंत तक - आद्योपान्त
- जो बहुत क्रुर व्यवहार करता हो। - आततायी
- जिसका संबंध आत्मा से हो। - आध्यात्मिक
- अपनी विवाहिता से उत्पन्न पुत्र - औरस
- जो छाती के बल चलता हो - उरग
- जिसका मन जगत् से उचट गया हो - उदासीन
- भोजन करने के बाद बचा हुआ - अन्न/जुठन उच्छिष्ट
- ऐसी जमीन जो अच्छी उत्पादक हो। - उर्वरा
- जिस भूमि में कुछ भी पैदा न होता हो। - ऊसर
- इंद्रियों को भ्रमित करने वाला। - ऐन्द्रजालिक
- बर्तन बेचने वाला - कसेरा
- जो बात पूर्वकाल से लोगों में कह सुनकर प्रचलित हो - किंवदन्ती
- अपने लिए किए हुए उपकार को याद रखने वाला। - कृतज्ञ
- अपने लिए किए हुए उपकार को भुला देने वाला। - कृतघ्न
- अपनी गलती स्वीकार करने वाला। - कायल
- जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ हो - कुलीन
- अपने ही कूल का नाश करने वाला व्यक्ति - कुलांगार
- जो दुख या भय से पीड़ित हो. - कातर
- वह व्यक्ति जिसका ज्ञान अपने ही स्थान तक सीमित हो - कूप मंडूक
- वृक्ष लता फूलों से गिरा हुआ कोई सुंदर स्थान - कुंज
- जहां धरती और आकाश मिलते दिखाई देते हैं। - क्षितिज
- जो दूसरों में केवल दोषों को ही खोजता हो - छिद्रान्वेषी
- कार्य करने की इच्छा। - चिक्कीर्षा
- पकड़ने की इच्छा। - जिघृक्षा
- जानने की इच्छा - ज्ञिजासा
- भोजन करने की इच्छा। - जिघत्सा
- जीतने/दमन करने की इच्छा। - जिगीषा
- किसी को मारने की इच्छा। - जिघांसा
- जिंदा रहने की इच्छा - जिजीविषा
- सोने (शयन करने) की इच्छा। - सुषुप्सा
- सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा। - एषणा
- जो ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखता हो - ज्ञानपिपासु
- लाभ की इच्छा - लिप्सा
- सर्जन करने की इच्छा। - सिसृक्षा
- तैर कर पार करने की इच्छा। - तितीर्षा
- किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा - अभीप्सा
- भूत, वर्तमान और भविष्य को देखने वाला - त्रिकालदर्शी
- भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने वाला - त्रिकालज्ञ
- अनुचित बात के लिए आग्रह करना - दुराग्रह
- ध्यान देने योग्य अथवा लक्ष्य। - ध्येय
- जो मास न खाता हो/मांसरहित - निरामिष
- जिसकी कोई इच्छा न हो - निस्पृह
- अर्ध रात्रि का समय - निशीथ
- रंगमंच पर पर्दे के पीछे का स्थान. - नेपथ्य
- संध्या और रात्रि के बीच का समय - प्रदोष
- हाथ से लिखी हुई पुस्तक - पांडुलिपि
- मोक्ष की इच्छा रखने वाला - मुमुक्षु
- जिसनें मृत्यु को जीत लिया हो - मृत्युंजय
- युद्ध की इच्छा रखने वाला - युयुत्सु
- जिसका कोई आदि और अंत न हो - शाश्वत
- जिस शब्द के एक से अधिक अर्थ हो - श्लेष
- जिसकी ग्रीवा सुंदर हो - सुग्रीव
- छूत का रोग - संक्रामक
- वह जो अपना ही मतलब जानता हो - स्वार्थी
- अधिक पढ़ी लिखी और ज्ञानी स्त्री - विदुषी
- शिव का उपासक - शैव
- जिसे अपने स्थान से हटा दिया गया हो - विस्थापित
- सब कुछ प्राप्त करने वाला - सर्वलभ/सर्वप्राप्त
- आसानी से प्राप्त होने वाला - सुलभ
- बुरे आचरण वाला - दुराचारी
- घास काटकर और उसे बेचकर जीवन निर्वाह करने वाला - घसियारा
- कम खर्च करने की प्रवृति वाला व्यक्ति - मितव्ययी
- व्याकरण जानने वाला - वैयाकरण
- अनुचित बात के लिए हठ - दुराग्रह
- रात में घूमने वाला - निशाचर
- किसी देश पर राज्य चलाने के लिए नियम - संविधान
- अन्य से संबंध न रखने वाला - अनन्य
- कनिष्ठा और मध्यमा के बीच की उंगली - अनामिका
- इंद्रियों को नियंत्रित रखना - यम
- जो चाटने योग्य हो - लेह्य
- जिसे देख कर रोंगटे खड़े हो जाए - लोमहर्षक
- भाषण देने में चतुर - वांग्मी
- वह विद्यार्थी आचार्य के पास ही निवास करता हो - अंतेवासी
- जिसका निवारण न किया जा सके - अनिवार्य
- जिसका आदर न किया गया हो - अनादृत
- जिस वस्त्र को पहना न गया हो - अप्रहत
- जो व्यक्ति विदेश में रहता हो - अप्रवासी
- जो व्यवहार में न लाया गया हो - अव्यवहत
- न हो सकने वाला कार्य - अशक्य
- जो शोक करने योग्य नहीं हो - अशोक्य
- वह धन जो किसानों की सहायता हेतु दिया जाता है - तकावी
- ज्ञान में प्रवेश करने का मार्गदर्शन - तीर्थंकर
- वह स्थान जो दोनों भृकुटियों के बीच में हो - त्रिकुटी
- अनावश्यक मांसल और मोटा शरीर - थुलथुल
- संकुचित विचार रखने वाला - दकियानूस
- पति के स्नेह से वंचित स्त्री - दुर्भगा
- आदेश की अवहेलना - अवज्ञा
- जिसका विभाजन न किया गया हो - अविभक्त
- जिसका विभाजन न किया जा सके - अविभाज्य
- जो मृत्यु के समीप - मरणासन्न/आसन्नमृत्यु
- जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध हो - सिद्धार्थ
- गद्य एवं पद्य मिश्रित रचना - चंपू
- जो अकारण ज़ुलम ढाता हो - जालिम
- एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला - जंगम
- श्रेष्ठ गुणों से संपन्न शूरवीर नायक - धीरोदात्त
- शूरवीर किन्तु क्रीडाप्रिय नायक - धीरललित
- शूरवीर किंतु अभिज्ञानी नायक. - धीरोधत्त
- जिससे किसी पत्रकार की हानि न हो - निरापद
- तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव - नटराज
- सम्मान में दी जाने वाली भेंट - नज़राना
- जो गुण दोष का विवेचन करता हो - आलोचक
- पवित्र आचरण वाला - आचारपूत
- किन्ही घटनाओं का कालक्रम से किया गया यथातथ्य वर्णन - इतिवृत
- विचारों का ऐसा प्रवाह जिसमें कोई निष्कर्ष नए निकले - ऊहापोह
- भूख से पीड़ित - क्षुधातुर
- पानी/समुंद्र में लगने वाली आग - वडवाग्नि
- जंगल में लगने वाली आग - दावाग्नि
- पेट में लगने वाली आग (भूख) - जठराग्नि
- उत्तर और पूर्व बीच की दिशा - ईशान
- पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा - आग्नेय
- दक्षिण और पश्चिम के बीच की दिशा - नैऋत्य
- पश्चिम और उत्तर के बीच की दिशा - वायव्य
- चोरी या छल से सामान इधर उधर ले जाने वाला - तस्कर
- अंग्रेजों की सेना का भारतीय सिपाही - तिलंगा
- वर्षा के साथ चलने वाली आंधी। - झंझावात
- जो सम्यक् एक प्रकार से विधान करता है - संविधान
- वह नायिका जो दिन में अपने प्रेमी से मिलने संकेत स्थल पर जाती है - दिवाभिसारिका
- वह पत्नी जिसका पति विदेश जाने वाला हो - प्रवत्स्यतिपतिका
- तत्काल निर्णय ले लेने वाली बुद्धि। - प्रत्युत्पन्नमति
- किसी गुढ़ विषय पर वृहद् टीका - भाष्य
- जो पुष्प पूरा न खिला हो - कली/ मुकुल
- बहुत बड़ा मूल्यवान - महारथी
- जुड़वां भाई बहन - यमल/यमज
- उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ती - रिक्थ
- यज्ञ स्थल पर स्थापित किया जाने वाला खंबा - यूप
- विवाह के समय कन्या को जो दिया जाए - यौतुक
- प्रशंसा के बहाने निंदा - व्याजस्तुति
- जो भली प्रकार सुना गया हो - सुश्रुत
- जो गहरी नींद में सोया हुआ हो। - सुषुप्त
- पसीने से उत्पन्न होने वाले जीव - स्वेदज
- शपथ पूर्वक दिया गया लिखित बयान - हलफनामा
- अपने ही पति से अनुराग रखने वाली स्त्री - स्वकीया
- फूलों का गुच्छा - स्तबक
- जो विश्राम कर चुका हूं - विश्रान्त
- हिलोरे उत्पन्न करने वाला - विलोडक
- वह काव्य रचना जिसका अभिनय हो सके - रूपक
- जिस स्त्री का राजा के साथ अभिषेक हो - महिषी
- प्रातः काल गाया जाने वाला गीत - भैरवी
- स्थिति को गम्भीरता से परखने वाला - प्रेक्षक
- पाचन क्रिया का खराब हो जाना - बदहजमी/अजीर्ण─
- गोद में सोने वाला। - अकंशायी
- जिसका हाथ बहुत तेज चलता हो - क्षिप्रहस्त
- सोने के समान चोटियों वाला पहाड़ - हेमाद्रि
- सेना का वह भाग जो सबसे आगे रहता है - हरावल
- किराए पर चलने वाली मोटर गाड़ी - टैक्सी
- किसानों को सरकार या जमीदार द्वारा दी गई ऋण के रुप मैं आर्थिक सहायता - तकावी
- नाटक का एक हास्य रस प्रधान भेद - प्रहसन
- एक बार कई बात को दोहराते रहना - पिष्टपेषण
- सूर्य उदय से पहले दो घड़ी तक का पवित्र समय - ब्रह्ममुहूर्त्त
- दिन पर दिन। - दिनानुदिन
- देखने योग्य - दर्शनीय/द्रष्टव्य
- पूछने योग्य - प्रष्टव्य
- करने योग्य - करणीय/कर्त्तव्य
- पूजने योग्य। - पूजनीय/पूज्य
- सुनने योग्य - श्रवणीय/श्रव्य
- गिरा हुआ। - पतित
- जो पृथ्वी से संबंधित हो। - पार्थिव
- जो पहरा देता है। - प्रहरी
- जो दूसरे के स्थान पर अस्थाई रूप से कार्य करें - स्थानापत्र
- कन्या जिसकी सगाई कर दी गई हो - वाग्दत्ता
- कन्या का विवाह कर देने का वचन देने की रसम - वाग्दान
- लोभी भी स्वभाव वाला व्यक्ति लुब्ध प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्ति - लब्धप्रतिष्ठ
- जिसे जीत लिया गया हो। - विजित
- कागज पर छपी राज्य की विज्ञप्ति जिसमें कोई खास सन्दर्भ - श्वेत पत्र
- स्त्रियों जैसा आचरण करने वाला - स्त्रैण/शिखण्डी
- स्त्री के वश में रहने वाला - स्त्रौग
- वह ज्योतिर्मय जिससे ब्रह्म और सृष्टि की उत्पत्ति हुई हो - हिरण्यगर्भ
- हाथी की पीठ पर रखी जाने वाली चौकी - हौदा
- अच्छाई और बुराई की पहचान - विवेक
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