रक्त की परिभाषा, रक्त समूह प्रणाली | Types of blood groups

रक्त समूह (Blood groups)

सर्वप्रथम वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर ने 1901 में रक्त का विभिन्न समूहों में वर्गीकरण किया। रक्त की लाल रक्त कणिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रतिजनों की उपस्थिति तथा अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकृत कर विभिन्न समूहों में बांटा गया है। 

सामान्यतः ये प्रतिजन प्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट या ग्लाइकोलिपिड हो सकते है। ये प्रतिजन एक ही विकल्पी (allele) या संबंधित जीन से उत्पन्न होते है तथा वंशानुगत रूप से माता व पिता दोनों से प्राप्त होते है। लाल रक्त कणिकाएं के आधार पर रक्त के प्रकार मानव श्वसन तंत्र 

रक्त के प्रकार प्रतिजन के आधार पर

लाल रक्त कणिकाओ की सतह पर मुख्य रूप से दो प्रकार के

प्रतिजन पाए जाते है।

  1. प्रतिजन 'A' 
  2. प्रतिजन 'B'

रक्त समूह के प्रकार (The type of blood group)

प्रतिजनों की उपस्थिति के आधार पर कुल चार प्रकार के रक्त समूह पाए जाते है- 

  1. रक्त समूह A
  2. रक्त समूह B
  3. रक्त समूह AB 
  4. रक्त समूह O
Types of blood groups
Source:- pixabay

रक्त समूह प्रतिजन (Antigen) प्रतिरक्षी (Antibody) रक्त दाता
A A a A,O
B B b B,O
AB AB अनुपस्थित A,B,AB,O
O अनुपस्थित ab O
इस वर्गीकरण को A BO समूहीकरण कहा जाता है। 
  • 'A' प्रकार के रक्त में लाल रक्त कणिकाओं पर 'A' प्रकार का
  • प्रतिजन पाया जाते है।
  • 'B' प्रकार के रक्त में 'B' प्रकार का प्रतिजन पाया जाते है 
  • AB प्रकार के रक्त में लाल रक्त कणिकाओं पर Aव B दोनों प्रकार के प्रतिजन पाए जाते है। 
  • 'O' प्रकार के रक्त में लाल कणिकाएं 'A' तथा 'B' प्रतिजन दोनों से विहीन होती है।
  • 'A' व 'B' के अतिरिक्त लाल रक्त कणिकाओ पर आर एच (Rh) नामक एक और प्रतिजन पाया जाता है। 
  • यदि रक्त कणिकाओं की सतह पर आर एच प्रतिजन (Rh antigen) उपस्थित हो तो रक्त आर एच धनात्मक (Rh positive
  • या Rh +) कहलाता है। 
  • वह रक्त जिस में रक्त कणिकाएं आर एच प्रतिजन से विहीन होती है आर एच ऋणात्मक (Rh negative या Rh-) रक्त कहलाता है।
  • यह व्यवस्था आर एच (Rh) समूहीकरण कहलाती है।
  • जिन लोगों का रक्त समूह A प्रकार का होता है उनका शरीर में IgM प्रकार की Anti -B प्रतिरक्षी पायी जाती है।
  • जिनका रक्त समूह B प्रकार का है उनके शरीर में Anti A प्रतिरक्षी पायी जाती है। 
  • रक्त समूह O  वालों के शरीर में Anti A व Anti B प्रतिरक्षी पाई जाती है। 
  • AB रक्त समूह वाले व्यक्तियों में AntiA व Anti B दोनों ही प्रकार की प्रतिरक्षी नहीं पाई जाती है
  • IA रक्त समूह वाले व्यक्ति को जब B प्रकार का रक्त चढ़ा दिया जाता है तो उसके शरीर में उपस्थित Anti B प्रकार की प्रतिरक्षी B प्रकार की रक्त कणिकाओं का विनाश करती है। अतः रक्तदान करते समय विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए कि ग्राही व दाता का रक्त एक
  • ही रक्त समूह का हो। 
  • रक्त समूह ‘O’  वाले व्यक्ति सर्वदाता अर्थात् रक्त का दान कर सकता है
  • रक्त समूह ‘AB’ वाले व्यक्ति सर्वग्राही अर्थात् सभी रक्त समूहों का रक्त ग्रहण कर सकता है। 

Rh कारक (Rh factor)

आर एच (रीसस) कारक करीब 417 अमीनों अम्लों का एक प्रोटीन है 
Rh कारक की खोज मकाका रीसस (Macaca Rhesus) नाम के बंदर में की गई थी। 
यह प्रोटीन मानव की रक्त कणिकाओं की सतह पर भी पाया जाता है। 
विश्व में करीब 85% मानव आबादी आर एच धनात्मक (Rh+) लोगों की है तथा शेष 15% आर एच ऋणात्मक (Rh-) होते है ।

Rh कारक के प्रकार

मानन में पाँच प्रकार के आर एच कारक पाए जाते हैं
  1. Rh.D
  2. RR.E
  3. Rh.e
  4. Rh.C
  5. Rh.c
Rh कारक मानव में उपस्थित
Rh कारक (%)
Rh.D 85%
Rh.E 30%
Rh.e 78%
Rh.C 80%
Rh.c 80%

सभी आर एच कारकों में Rh.D सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह सर्वाधिक प्रतिरक्षाजनी (Immunogenic) है।

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