कार्य क्या है परिभाषा, प्रकार, उदाहरण Definition and Example

कार्य (Work) क्या हैं?

एक गेंद को फर्श पर रखकर धक्का देने पर गेंद एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित हुई? यहाँ गेंद ने निश्चित दिशा में कुछ दूरी तय की है । गेंद द्वारा निश्चित दिशा में तय दूरी को विस्थापन कहते है। अतः हम कहते है कि गेंद में बल लगाने पर विस्थापन हुआ है या  किसी दीवार को धक्का देने पर अपने स्थान पर ही स्थिर रही है, इस कारण दीवार में विस्थापन शून्य है।

कार्य की परिभाषा (definition of work)

वस्तु पर बल लगाने पर उसमें विस्थापन होने की क्रिया को कार्य कहते है।

पहली वस्तु  (गेंद ) में विस्थापन हुआ है अतः इस क्रिया में किया गया है जबकि दूसरी वस्तु (दीवार ) में विस्थापन नहीं हुआ है,अतः इस क्रिया को कार्य नहीं कहते हैं । हम कह सकते है कि दीवार पर बल लगाने पर किया गया कार्य शून्य है।

कार्य का उदाहरण

1. मेज पर रखें एक खाली गाड़ी में केवल दो पुस्तकें रख कर बंद कर दीजिए। अब इसे रस्सी से बाँध कर पहले दो मीटर तक मेज पर खींचिए। इसके बाद चार मीटर तक मेज पर खींचिए। किस स्थिति में अधिक कार्य किया गया?
स्पष्टत: जब वस्तु द्वारा तय किया गया विस्थापन अधिक होगा तो कार्य अधिक होगा।


वस्तु पर किया गया कार्य विस्थापन पर निर्भर करता है।

2. पहले मेज में केवल दो पुस्तकें रख कर खींचिए। इसके बाद उसे पुस्तकों से पूरा भर कर 4 मीटर दूरी तक खींचिए दोनों स्थितियों में विस्थापन समान है। किस स्थिति में अधिक बल लगाना पड़ा? किस स्थिति में कार्य अधिक हुआ?
दूसरी स्थिति में अधिक बल लगाना पड़ता है अतः दूसरी में किया गया कार्य अधिक है।
वस्तु पर किया गया कार्य,वस्तु पर लगाएँ गए बल के परिणाम पर निर्भर करता है।
1.वस्तु द्वारा तय किए गए विस्थापन पर 
2.वस्तु पर लगाएँ गए बल के परिणाम पर 
यदि वस्तु पर बल आरोपित करने पर वह बल की दिशा में विस्थापित होती है तो किए गए कार्य को अग्रलिखित


कार्य का formula

       कार्य = बल●बल की दिशा में विस्थापन 
      Work =F●d
कार्य का अंतर्राष्ट्रीय मात्रक "जूल " होता हैं।

ऊर्जा (Energy)

आपने कार्य करने की क्षमता होने के कारण आप कई कार्य कर सकते हैं। इसी प्रकार जानवरों में भी कार्य करने की क्षमता होने के कारण वे भी कई कार्य कर सकते हैं। प्रकृति में हम यह भी देखते है कि न केवल सजीवों में बल्कि निर्जीव वस्तुओं में भी कार्य करने की क्षमता होती हैं जैसे ऊँचाई से गिरते हुए पानी से बड़ी-बड़ी मशीनें चला सकते है, तेज हवा से पवन चक्की चलती हैं।, कोयले  की ऊष्मा बना कर उससे बिजली का जनरेटर चलाया जाता हैं आदि। अतः हम कह सकते है वस्तुएँ चाहे सजीव हो या निर्जीव, उनमें कार्य करने की क्षमता हो सकती हैं।
वस्तुओं में कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
स्पष्ट है कि एक वस्तु द्वारा दूसरी वस्तु पर कार्य करता हैं। कार्य करने के लिए पहली वस्तु को ऊर्जा खर्च करनी पड़ती हैं। इस कारण पहली वस्तु की ऊर्जा में कमी हो जाती हैं। पहली वस्तु द्वारा किया गया दूसरी वस्तु में ऊर्जा के रूप में प्रकट हो जाती हैं।
हम कह सकते हैं कि कार्य एव ऊर्जा एक दूसरे के तुल्य है इसलिए ऊर्जा का मात्रक अंतर्राष्ट्रीय मात्रक भी "जूल" हैं।
ऊर्जा कई रूपों में पाई जाती हैं इनमें से एक रूप को यांत्रिक ऊर्जा कहा जाता हैं।

यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy)

गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा को सम्मिलित रूप को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
यांत्रिक ऊर्जा के दो रूप होते हैं।

  1. गतिज ऊर्जा (Kinetic energy)
  2. यांत्रिक ऊर्जा (Static energy)


गतिज ऊर्जा (Kinetic energy)

 हम देखते है कि बहता हुआ पानी कई वस्तुओं को अपने साथ दूर तक बहा ले जाता है. बहती हुई हवा भी वस्तुओं को उड़ा सकती हैं। हवा की ऊर्जा से पवन चक्की चला सकते हैं। गति करती हुई गेंद दूसरी गेंद से टकराती हैं तो उसे भी गति करा देती है।
वस्तुओं में गति के कारण कार्य करने की क्षमता होती हैं, जिसे गतिज ऊर्जा कहते हैं।

स्थितिज ऊर्जा (Static energy)

ऊँचाई से गिरते हुए पानी को टरबाइन पर गिरा कर उसे घुमाया जा सकता हैं  गुलेल के रबर में पत्थर रखकर उसे खींच कर छोड़ते है तो पत्थर को गति मिलती हैं। इसी प्रकार तीर-कमान को खींच कर छोड़ने पर तीर में भी गति होती हैं। हम कह सकते है कि स्थिति या आकृति में परिवर्तन के कारण भी वस्तुओं में ऊर्जा होती हैं
चाबी वाली खिलौना कार के अन्दर की मशीन को देखिए। इसी प्रकार चाबी वाली घड़ी के अन्दर मशीन को देखिए जब घड़ी या कार में चाबी भरते है तो स्प्रिंग दब जाती हैं अर्थात् उसकी आकृति में परिवर्तन हो जाता है इस कारण उसमें कार्य करने की क्षमता (ऊर्जा) संचित हो जाती हैं. फलस्वरूप वे चलने लगती हैं।
जब वस्तु की स्थिति या आकृति में परिवर्तन किया जाता हैं। तो उसमें एक प्रकार की यांत्रिक ऊर्जा संचित हो जाती हैं जिसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

ऊर्जा के विभिन्न रूप (Different forms of energy)

आपने गति, ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत, ध्वनि, चुम्बक, परमाणु संरचना तथा रासायनिक क्रियाओं आदि ऊष्मा के विभिन्न माध्यमों में होती हैं
यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy)
गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा को सम्मिलित रूप को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। वस्तुओं में गति या स्थिति के कारण निहित ऊर्जा
उदाहरण  जल,पवन, गाड़ी,गेंद आदि गति के कारण ऊर्जा, स्प्रिंग, गुलेल, तीर-कमान की ऊर्जा
ऊष्मा ऊर्जा(Heat energy)
जलती हुई वस्तु या गर्म वस्तु में निहित ऊर्जा
उदाहरण  कोयले की ऊष्मा से इंजन  चलना, पेट्रोल या डीजल इंजन से वाहन चलाना।
रासायनिक ऊर्जा (Chemical energy)
ईंधन में निहित ऊर्जा । सेल व बैटरी में रासायनिक ऊर्जा ही विद्युत ऊर्जा में बदलती हैं।
प्रकाश ऊर्जा  (Light Energy)
सूर्य अथवा बल्ब इत्यादि के प्रकाश में निहित ऊर्जा
उदाहरण  धूप से वस्तुएँ गर्म होना, सौर सेल से विद्युत बनाना
विद्युत ऊर्जा (electrical energy)
 आवेशों के प्रवाह से प्राप्त ऊर्जा
उदाहरण  बल्ब से रोशनी करना, विद्युत पंखा,विद्युत मोटर आदि चलना।
चुम्बकीय ऊर्जा ( Magnetic energy)
 चुम्बकीय क्षेत्र में निहित ऊर्जा
उदाहरण  चुम्बक से लोहे की वस्तु में आकर्षण
ध्वनि ऊर्जावान (Sound energy)
  ध्वनि (कम्पन) में निहित ऊर्जा
उदाहरण विभिन्न वाद्य यंत्रों के कम्पन से प्राप्त ध्वनि
परमाणु ऊर्जा (Atom energy)
 नाभिकों के विखंडन या संलयन से प्राप्त ऊर्जा
उदाहरण परमाणु (नाभिकीय) भट्टी से विद्युत निर्माण

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