जीवन का आधार कोशिका (Basic of life cell)
सर्वप्रथम 1665 में वैज्ञानिक रार्बट हुक ने साधारण सूक्ष्मदर्शी से कार्क की पतली काट में खाली स्थान या कार्क की गुहाओं में देखा और उन्हें कोशिका (cell) नाम दिया। वास्तव में रार्बट हुक द्वारा मृत कोशिकाओं में अध्ययन किया गया था।
सन् 1674 ई. सूक्ष्मदर्शी द्वारा जीवित कोशिकाओं में वैज्ञानिक ल्यूवेन हॉक ने कोशिकाओं के बारे में अध्ययन किया।
कोशिका के अध्ययन को कोशिका विज्ञान (Cytology) कहते हैं।
कोशिका जीवों के आधार पर
कोशिश के आधार पर जीवों के शरीर को दो भागों में बांटा गया है
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एककोशिक जीव (Unicellular organisms)
- बहुकोशिकीय जीव (Multicellular organisms)
- एककोशिक जीव (Unicellular organisms) वे सभी जीव जिनका शरीर एक कोशिका का बना होता है, एककोशिक जीव (Unicellular organisms) कहते हैं। जैसे अमीबा, क्लेमाइडोमोनास एककोशिक जीवों में जैव क्रियाएं जैसे श्वसन, पोषण, उत्सर्जन, वृद्धि एवं जनन आदि क्रियाएं एक कोशिका द्वारा की जाती है।
- बहुकोशिकीय जीव (Multicellular organisms) वे सभी जीव जो अनेक कोशिकाओं से बने जीव बहुकोशिकीय जीव (Multicellular organisms) कहते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्य अलग-अलग प्रकार की कोशिका समूह द्वारा होता है।, जिन्हें ऊतक (Tissue) कहते हैं। कोशिकाओं का औसतन व्यास 0.5 माइक्रॉन से 20 माइक्रॉन तक होता है। लेकिन कुछ जीवों की कोशिकाओं की लम्बाई काफी बढीब होती हैं। जैसे शुतुरमुर्ग के अण्डे की कोशिका का व्यास लगभग 100 - 158 सेमी. तक होती है। लेकिन कोशिकाओं का आकार जीवों के शरीर तथा कार्य के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं।
कोशिका सिद्धांत व अपवाद
सभी जीव जंतुओं व पादपों का शरीर, कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। जैव-क्रियाओ एवं जैविक लक्षणों के लिए कोशिकाएं उत्तरदायित्व है । सन् 1838-39 में जन्तु वैज्ञानिक थियोडोर श्वान वह पादप वैज्ञानिक मैथियास श्लीडन ने मिलकर कोशिका सिद्धांत प्रस्तुत किया। इनके अनुसार
- समस्त जीवों का शरीर एक या एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है।
- जीव-जंतुओं में जैव क्रियाएं कोशिका की मूलभूत इकाई है। तथा समस्त क्रियाएं कोशिका के अन्दर होती हैं।
- कोशिका के केन्द्र में आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता हैं। अतः कोशिका को आनुवंशिकी ईकाई है।
- पूरानी कोशिकाओं से मिलकर नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
आधुनिक खोजों के आधार पर कोशिका सिद्धांत तर्क पूर्ण नहीं होता है। क्योंकि विषाणुओं में कोशिका संरचना नहीं होती हैं। और सभी कोशिकाओं में केन्द्र भी नहीं पाया जाता है। जैसे नींद रहित शैवाल आदि।
माइटोकॉन्ड्रिया
- माइटोकॉन्ड्रिया की खोज 1880 ई.वैज्ञानिक कोलीकर ने की थी।
- माइटोकॉन्ड्रिया नामकरण बेन्दा नामक वैज्ञानिक ने किया था
- माइटोकॉन्ड्रिया यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पाते जाता हैं।
- प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में नहीं पाया जाता हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया को शक्ति गृह (Power House) भी कहा जाता हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया दोहरी झिल्ली कोशिकांग है।
- बाह्य झिल्ली चिकनी वह समतल होती है
- तथा आन्तरिक झिल्ली में गुहा की ओर अंगुली के समान आकृति वलय रहतीं हैं इन वलय को क्रिस्टी कहते हैं
- क्रिस्टी की सतह पर असंख्य सृवन्त कण होते हैं इन कणों को ऑक्सीसोम कहते हैं
- क्रिस्टी के मध्य भाग को आधात्री या मेट्रिक्स (Matrix) कहते हैं।
- मेट्रिक्स में प्रोटीन 60-70% ,फास्फोलिपिड 25% तथा 0.5% RNA पाया जाता हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम व DNA भी होते हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया का मुख्य कार्य श्वसन में खाद्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करते हैं।
लवक (Plastids)
- लवक पादक कोशिकाओं में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के वर्णक मिलने के कारण भिन्न-भिन्न रंग के होते है।
- वर्णकों के आधार पर लवक कई प्रकार के होते हैं जैसे:- वर्णीलवक, अवर्णीलवक व हरितलवक होते हैं।
- हरितलवक कोशिका पेड़ पौधे में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता है।
- हरितलवक (Chloroplast) दोहरी झिल्ली कोशिकांग है। जो क्रमशः बाह्य झिल्ली व अन्त झिल्ली
- अन्त झिल्ली से घिरी हुए भीतर के स्थान को पीठिका या स्ट्रोमा (Stroma ) कहते हैं।
- स्ट्रोमा में जटिल झिल्ली तंत्र को थाइलेकोइड (Thylakoids) कहते हैं।
- थाइलेकोइड दो प्रकार के होते हैं ग्रेना (grana) व इन्टर ग्रेनम (Inter granum )
- थाइलेकोइड की झिल्ली व पीठिका (Stroma) में प्रकाश संश्लेषण से संबंधित एन्जाइम पाये जाते हैं
- स्ट्रोमा में DNA व राइबोसोम भी पाते जाते हैं।
लाइसोसोम (Lyososome)
- लाइसोसोम की खोज डी. ड्यूवे ने की थी।
- लाइसोसोम एकल झिल्ली युक्त , थैलीनुमा कोशिकांग है।
- लाइसोसोम में कणीय द्रव्य भरा होता है।, जिसमें कई जल अपघटनी एन्जाइम पाये जाते हैं।
- लाइसोसोम कोशिका में शर्करा , वसा, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल का अपघटन कर सरल अणुओं में तोड़ देते हैं।
- लाइसोसोम की झिल्ली के फटने पर एन्जाइम उस कोशिका का पाचन क्रिया कर लेते हैं।
- लाइसोसोम को आत्मघाती थैली (Suicidal bags ) कहते हैं।
अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum )
- कोशिका के कोशिका कला व केन्द्रक के मध्य सूक्ष्मनलिकाओं की जालिका को अन्तर्द्रव्यी जालिका कहते हैं।
- अन्तर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका वह चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका
- खुरदरी अन्तर्द्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं। यह प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करती हैं।
- चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका वसा वाले लिपिड अणुओं के संश्लेषण का कार्य करती है।
- अंतर्द्रव्यी जालिका गॉल्जीकाय का निर्माण करती हैं।
- अंतर्द्रव्यी जालिका कोशिका व केन्द्रक के मध्य पदार्थों के परिवहन का कार्य करती है
राइबोसोम (Ribosome)
- खोज कर्ता क्लाड ने की थी।
- राइबोसोम का नामकरण पैलेड ने दिया।
- खुरदरी अन्तर्द्रव्यी जालिका पर दाने के रूप में पाये जाते हैं।
- राइबोसोम RNA व प्रोटीन के बने होते हैं।
- राइबोसोम यूकेरियोटिक कोशिकाओं में 80S तथा प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में 70S प्रकार के राइबोसोम पाये जाते हैं
- राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।
गॉल्जीकाय (Golgi body)
- खोज कर्ता कमिलो गॉल्जी द्वारा की गई।
- यह कोशिका केन्द्रक के पास चपटी नलिकाओं के रुप में पायी जाती है।
- गॉल्जीकाय में तीन प्रकार संरचना होती है आशय, रिक्तिकायें व कुण्डिकायें
- यह कोशिका में शर्करा, पेक्टिन व प्रोटीन के संश्लेषण वह स्रवण का कार्य करती है।
तारककाय (Centrosome)
- खोज कर्ता लॉन बेन्डेन द्वारा की गई।
- यह मुख्य रूप से जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक के निकट तारे समान आकृति होती हैं।
- हर तारककाय में दो तारककेन्द्र (Centrioles) होते हैं। जो एक-दूसरे के लम्बवत रहते हैं।
रिक्तिका (Vacuole)
- कोशिका के कोशिकाद्रव्य में सूक्ष्म या बड़ी बुलबुले समान संरचनाएं रिक्तिकायें कहलाती है।
- रिक्तिका एक झिल्ली द्वारा घिरी होती है, जिसे टोनोप्लास्ट (Tonoplast) कहते हैं।
- रिक्तिका में उपस्थित द्रव को कोशिका रस (Cell sap) कहते हैं।
केन्द्रक (Nucleus)
- खोज कर्ता रार्बट ब्राऊन (Robert Brown) ने 1831 में की थी।
- यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग है।
- जन्तु कोशिका में केन्द्रक गोलाकार वह मध्य में तथा पादप कोशिका में बड़ी रिक्तिका की उपस्थिति के कारण केन्द्रक कोशिका की परिधि की ओर पाया जाता है।
- केन्द्रक के चारों ओर दोहरी झिल्ली पारी जाती हैं।
- केन्द्रक झिल्ली में सूक्ष्म छिद्र के द्वारा कोशिकाद्रव्य वह केन्द्रकद्रव्य के मध्य पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।
- केन्द्रक में तरल केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) पाया जाता है।
- केन्द्रकद्रव्य में न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन तथा अन्य कार्बनिक यौगिक पाये जाते हैं।
- केन्द्रकद्रव्य में पतले धागे सदृश्य संरचानाओ का जाल पाया जाता है, जिसे क्रोमेटिन जालिका कहते हैं।
- कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिन धागे कुण्डलित होकर अपेक्षाकृत मोटे दिखाई देते हैं, जिन्हें गुणसूत्र (Chromosome) कहते हैं।
- केन्द्रक कोशिका का मुख्य नियंत्रक अंग है।
पादप व जन्तु कोशिकायें (Plant and Animal cells)
पादप कोशिका व जन्तु कोशिकाओं की मूलभूत संरचना व लक्षणों अन्तर
- कोशिका भित्ति Cell Wall पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली सेल्यूलोज ( cellulose) की बनी निर्जिव कोशिका भित्ति पायी जाती है। जबकि जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं होती है।
- हरितलवक (Chloroplast) कोशिका में प्रकाश संश्लेषण हरितलवक (chloroplast) होता है जबकि जन्तु कोशिका में हरितलवक नहीं होता है।
- रिक्तिकाएं (Vacuole) पादप कोशिका में रिक्तिकाएं पायी जाती है जबकि जन्तु कोशिका में नहीं पायी जाती है।
- तारककाय (Centrosome) पादप कोशिका में तारककाय नहीं होता है जबकि जन्तु कोशिका में तारककाय होता है।
- गाल्जीकॉय (Golgi body) पादप कोशिका में गॉल्जीकाय (Golgi body) विकसित होते हैं। जन्तु कोशिका में गाल्जीकॉय उपस्थित होता है।
- संचित भोजन (Accumulated food) पादप कोशिका में संचित भोजन मण्ड (Starch) के रूप में पाया जाता है। जबकि जन्तु कोशिका में भोजन ग्लाइकोजन के रूप में होता है।
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