Pharynx | anatomy | shirswastudy

Pharynx (anatomy)

मुख गुहा जिह्वा व तालु (Palate) के पिछले भाग में एक छोटी सी कुप्पीनूमा (Sac or flask shaped) ग्रसनी से जुड़ी होती है ग्रसनी से होकर भोजन आहार नलिका या ग्रासनाल (Grossal) तथा वायु श्वासनाल में जाती है। ग्रसनी अपनी संरचना से ये सुनिश्चित करती हैं कि भोजन श्वासनाल व वायु भोजन नाल में प्रवेश ना कर सके। इन दोनों नालों के मुख ग्रसनी के नीचे की तरफ स्थित होते हैं आगे के भाग में श्वासनाल  स्थित होती हैं। व पृष्ठ भाग में ग्रासनाल स्थित होती हैं।
Pharynx (anatomy)


लार ग्रन्थि में विभिन्न प्रकार के एंजाइम(Enzyme) स्त्रावित होते हैं। 
टायलिन (Ptylin) व एमिलेज (Amylase)
टायलिन (Ptylin)का कार्य जटिल पॉलीसैकेराइड (जैसे स्टार्च, ग्लाइकोजन) को सरलीकृत कर छोटे पॉलीसैकेराइड, माल्टोस में परिवर्तन कर देती हैं।
एमिलेज (Amylase) का कार्य जटिल

 ग्रसनी  तीन भागों में विभक्त किया जाता हैं-


  1. नासाग्रसनी (Nasopharynx)
  2. मुख -ग्रसनी (Oropharynx)
  3. कंठ-ग्रसनी या अधो-ग्रसनी (Laryngopharynx or Hypopharynx)

ग्रासनली (Oesophagus)


यह एक संकरी पेशीय नली है जो करीब 25 सेंटीमीटर लंबी होती है यह ग्रसनी के निचले भाग से प्रारंभ होकर ग्रीवा (Cervix) तथा वक्षस्थल से होती हुई मध्यपट (Diaphragm) से निकल कर उदरगुहा में प्रवेश करती हैं । इस का मुख्य कार्य भोजन को मुख गुहा से आमाशय (Stomach) में पहुँचाता हैं। 
ग्रासनली में कुछ श्लेषमा ग्रंथियाँ मिलती हैं इन ग्रंथियो से स्त्रावित श्लेष्म भोजन को लसदार बनाता हैं। ग्रासनली में उपस्थित भित्तियाँ भोजन को एक प्रकार की गति क्रंमाकुचन गति (Peristalsis) प्रदान करती हैं जिसके माध्यम से भोजन आमाशय तक पहुँचता हैं। ग्रासनली के शीर्ष पर उत्तको को एक पल्ला (Flap) होता हैं। यह पल्ला घाटी ढक्कन या एपिग्लॉटिस(Epiglottis) कहलाता हैं।
भोजन निकलने के दौरान यह पल्ला (घाटी ढक्कन या Epiglottis) बंद हो जाता है तथा भोजन को श्वासनली में प्रवेश होने  से रोकता हैं।

लार ग्रन्थि (Salivary Gland)

यह मुँह में लार उत्पन्न करती हैं। लार एक सीरमी (Serum) तरल तथा एक चिपचिपे श्लेषमा का मिश्रण होता हैं। तरल भाग भोजन को गीला करता हैं तथा श्लेषमा लुब्रिकेंट के तौर पर कार्य करता हैं। लार का मुख्य कार्य भोजन में उपस्थित स्टार्च (Starch) का मुख में पाचन शुरू करना, भोजन को चिकना व घुलनशील बनना तथा दाँतों, मुख ग्रहिका व जीभ की सफाई करना हैं।

लार ग्रन्थि तीन प्रकार की होती हैं


  1. कर्णपूर्ण ग्रन्थि (Parotid Gland) यह सीरमी तरल का स्त्राव करती है तथा गालो में पाई जाती हैं।
  2. अधोजंभ / अवचिबुकीय लार ग्रन्थि (Submandibular  Salivary gland) यह एक मिश्रित ग्रन्थि है जिससे तरल तथा श्लेष्मिक स्त्रावण होता हैं।
  3. अधोजिह्वा ग्रन्थि (Sublingual gland) यह जिह्वा के नीचे पाई जाती हैं तथा श्लेष्मिक स्त्रावण करती हैं।
Tags

Post a Comment

0 Comments