रदरफोर्ड परमाणु का मॉडल (Rutherford's model of atom)
अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने 1911 में सोने की पतली पन्नी पर्णिका (Foil) (100 नेनोमीटर ) पर ऐल्फा कणों (हीलियम के नाभिक) की बोछार की जिसके चारों ओर जिंक सल्फाइड (Zns) का पॉलिश किया हुआ एक वृत्ताकार आवरण था।इस प्रयोग से निम्नलिखित प्रेक्षण प्राप्त हुए
- अधिकाश कण सीधे आगे निकल जाते हैं
- कुछ कण 90˚ व 120˚ कोण पर विक्षेपित होकर आगे की ओर निकल जाते हैं।
- 2000 कणों की बौछार करने पर एक कण ऐसा था जो 180˚ कोण से विक्षेपित होकर वापस आ जाता है अर्थात् पतली पन्नी से टकरा कर पुनः उसी मार्ग से वापस आ जाता हैं।
इस प्रयोग से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले
- परमाणु का अधिकांश भाग खाली होता है।
- परमाणु में धन आवेश एक जगह केन्द्रित हैं।
- नाभिक का size (धनावेश) परमाणु के आयतन की तुलना में बहुत कम होता हैं।
- परमाणु का center धनावेशित [+] होता है उसे नाभिक कहते हैं।
निष्कर्षों के आधार पर रदरफोर्ड के नाभिकीय परमाणु मॉडल
इनके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं
- परमाणु का समस्त द्रव्यमान नाभिक मे center में होता हैं।
- नाभिक की त्रिज्या 10-15 मीटर होती हैं।
- परमाणु का अधिकांश भाग खाली होता हैं।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित वृत्ताकार पथ मे चक्कर लगाते हैं जिन्हें कक्ष या कोश कहते हैं
- नाभिक व इलेक्ट्रॉन के मध्य लगने वाला बल " स्थिर विद्युत आकर्षण बल "(Stable electric attraction force) कहलाता हैं।
- नाभिक व इलेक्ट्रॉन तीव्र गति से घूमने पर "अभिकेन्द्रीय बल (Provincial force) " से संतुलित रहता हैं।
- परमाणु में इलेक्ट्रॉन व नाभिक का आवेश (Charge) बराबर होने पर परमाणु विद्युत उदासीन होता हैं।
रदरफोर्ड परमाणु प्रतिरूप की कमियां (Rutherford's model of atom)
- धन आवेशित नाभिक के चारों ओर घूमता ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन त्वरण के कारण ऊर्जा विकिरण उत्सर्जित करेगा, जिसमें ऊर्जा में लगातार कमी न इलेक्ट्रॉन अन्ततः नाभिक में गिर जायेगा और परमाणु स्थायी नहीं रहेगा।
- रदरफोर्ड परमाणु के इलेक्ट्रॉन के लिए निश्चित पथ नहीं बता सका
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