ऊर्जा संरक्षण नियम:—
ऊर्जा को न तो उत्पन्न कर सकते है न ही नष्ट कर सकते है अपितु ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित होती है,इसे ऊर्जा संरक्षण कहते हैं।
नोट - भारत में ऊर्जा खपत के आधार पर निम्न ऊर्जा काम में ली जाती हैं।
- कोयला
- पेट्रोलियम
- जल ऊर्जा
- नाभिकीय ऊर्जा
- पवन ऊर्जा
भारत में सर्वाधिक कोयला ऊर्जा का उपयोग किया जाता हैं।
भारत में पवन ऊर्जा का उपयोग सबसे कम किया जाता हैं।
ऊर्जा को दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है
1. अनवीकरणीय स्त्रोत
A. सौर ऊर्जा
B. समुद्री ऊर्जा
C. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion Plant OTEP )
D. नाभिकीय ऊर्जा
B. समुद्री ऊर्जा
C. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion Plant OTEP )
D. नाभिकीय ऊर्जा
2. नवीनीकरण स्त्रोत
- जीवाश्मी ईंधन
- ताप विद्युत संयंत्र
- जल विद्युत संयंत्र
- जैव संहति / जैव गैस
- पवन ऊर्जा
1. अनवीकरणीय स्त्रोत:-
ऊर्जा के वे स्त्रोत जो किसी न किसी दिन समाप्त हो जाएंगे समाप्य स्त्रोत अथवा अनवीकरणीय स्त्रोत कहते हैं अर्थात् ईंधन की खोज के बाद ये सबसे महत्वपूर्ण खनिज ऊर्जा स्त्रोतो में से एक हैं। ये ऊर्जा संसाधन सीमित हैं इसका अर्थ हैं कि अनवीकरणीय संसाधनों को एक
स्रोत वा श्म ईंधन की खोज के बाद ये सबसे महत्त्वपूर्ण खनिज ऊर्जा स्रोतों में से एक हैं। ये ऊर्जा संसाधन सीमित हैं। इसका अर्थ है कि ये अनवीकरणीय संसाधनों और एक बार उपभोग कर लिये जायें तो ये समाप्त हो जायेंगे। प्रमुख प्रकार के तीन जीवाश्म ईंधन हैं- कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस, एवं विश्व भर में इस आधार पर ये लगभग 90% ऊर्जा उपभोग के लिये प्रदान करते हैं।
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A. सौर ऊर्जा
B. समुद्री ऊर्जा
C. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion Plant OTEP )
D. नाभिकीय ऊर्जा
A. सौर ऊर्जा:—
- गैर - परंपरागत / वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत
- सूर्य पाँच करोड़ वर्ष से ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा है व पाँच करोड़ वर्ष तक उत्सर्जित करता रहेगा।
- सौर ऊर्जा का केवल लघु भाग ही पृथ्वी के वायुमण्डल की बाह्य परतो पर पहुँच पाता है। इसका लगभग आधा भाग वायुमण्डल से गुजरते समय अवशोषित हो जाता है तथा शेष भाग ही पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँच पाता हैं ।
- सौर ऊर्जा का उपयोग निम्न प्रकार करते हैं
1. सौर वायुतापक
2. सौर जलतापक
3.सौर पेलन
4.सौर सेल
5. सौर भट्टियों
- सौर सेल में सिलिकॉन का उपयोग होता हैं,जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं
सौर सेल का उपयोग
1. मानव निर्मित उपग्रह में
2.अंतरिक्ष अन्वेषक युक्तियों जैसे -मार्स ऑबिटर
3.रेडियो
4.बेतार संचार केन्द्रों
5. टी.वी. रिले केन्द्रों
6.ट्रेफिक सिग्नलों
7.खिलौनों में
- सौर पैनल में चाँदी का उपयोग होता है, जो महँगा हैं।
- सौर सेल में अर्द्ध-चालक si,Ge का उपयोग किया जाता हैं।
- सूर्य से प्रतिवर्ष खपत की तुलना में 2000 गुना ऊर्जा प्राप्त होती हैं ।
- सूर्य पर प्रचुर मात्रा में हाइड्रोज (लगभग 78%) एवं हीलियम उपलब्ध हैं।
- सूर्य में नाभिकीय संलयन अथवा ताप नाभिकीय अभिक्रिया संपन्न होती हैं।
- सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं।
- सौर नियतांक ( Constant) - सूर्य की किरणों के लम्बवत् स्थित खुला क्षेत्र के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सेकंड पहुंचने वाली सौर ऊर्जा को सौर नियतांक कहते हैं।
- सौर नियतांक का मान 1.4 किलोवाट/ वर्ग मीटर होता हैं। या सौर नियतांक का मान 1.4 KJ होता है ।
- स्वच्छ आकाश की स्थिति होने पर पृथ्वी के किसी क्षेत्र में प्रतिदिन प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का औसत मान 4 से 7 KWH /वर्ग मीटर के बीच होता हैं।
B. समुद्री ऊर्जा:—
1. ज्वारीय ऊर्जा
2. तरंग ऊर्जा
3. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion Plant, OTEC )
1. ज्वारीय ऊर्जा:-
- सूर्य,चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण सागरो में जल का स्तर गिरता व चढ़ता हैं, इसे ज्वार- भाटा कहते है।
- ज्वारीय ऊर्जा से टरबाइन धुमाया जाता हैं।
2. तरंग ऊर्जा:-
- भारत में 7000 किलोमीटर समुद्री तट की तरंग ऊर्जा की कुल क्षमता 40 मेगावाट मापी गई हैं।
- तरंग ऊर्जा का एक संयंत्र तिरूवंतपुरम के समीप स्थापित किया गया हैं ( निझिंगम में) इसकी क्षमता 250 मेगावाट हैं।
3. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion Plant, OTEC )
- महासागरो के पृष्ठ के तप्त गर्म ताप का उपयोग अमोनिया जैसी वाष्पशील द्रव को उबालने में किया जाता है। यह वाष्प जनित्र के टरबाइन को घुमाती है। महासागरो की गहराइयों से ठण्डे जल को लाकर वाष्प को ठण्डा करके द्रव में संघनित किया जाता हैं।
- समुद्रों में 2 किलोमीटर की गहराई पर 20˚C का तापांतर होता हैं।
C. भू-तापीय ऊर्जा:—
- भू-गर्भ में पाई जाने वाली तापीय ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
- पृथ्वी के गर्भ में तप्त क्षेत्रों में पिघली चट्टाने जिनको मेग्मा कहते हैं, इनके सम्पर्क में जब जल आता है तो यह वाष्प में परिवर्तित होकर चट्टाने के दबाव से वाष्प दाब में परिवर्तित हो जाता हैं, जिससे टरबाइन को घुमाते हैं।
- तप्त जलवाष्प को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने के लिए जो निकासमार्ग होता हैं, उसे गर्म चश्मा(Heating Source)
- कहते हैं।
- पृथ्वी के अन्दर 10 किलोमीटर गहराई पर जाने पर 120˚C का एवं 320 किलोमीटर गहराई पर जाने पर 300˚C के करीब तापांतर होता हैं
- भू-तापीय ऊर्जा का मुख्य उपयोग न्यूजीलैंड व यू. एस. ए. में किया जाता है
- भारत में गर्म भू-गर्भ स्त्रोत के लगभग 300 स्थान ज्ञात है मणिकण (हिमाचल प्रदेश ) एवं कर्णनेश्वर (महाराष्ट्र) में भू-तापीय ऊर्जा के उपयोग की योजना चलाई जा रही हैं।
D. नाभिकीय ऊर्जा:-
- रेडियोएक्टिव पदार्थ जैसे - यूरेनियम,थोरियम,प्लेटोनियम, के द्वारा नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त की जाती हैं।
- इन पदार्थों का नाभिकीय विखण्डन होता हैं।
- यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का मान कोयले के कार्बन के एक परमाणु के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का एक करोड़ गुना अधिक होता हैं।
- शेष निधन (परमाणु कचरा) का निपटारा बड़ी समस्या हैं।
- 1 यूरेनियम के परमाणु विखंडन से प्राप्त ऊर्जा = 200 MeV
- एक ग्राम यूरेनियम के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा 20 टन TNT से प्राप्त ऊर्जा के तुल्य होता है
- नाभिकीय ऊर्जा का मुख्य उपयोग परमाणु भट्टी (रिएक्टर ) एवं परमाणु बम में किया जाता हैं।
- नोट - हाइड्रोज बम नाभिकीय संलयन पर आधारित हैं,जबकि परमाणु बम नाभिकीय विखंडन पर आधारित है
- भारत के परमाणु विद्युत गृह (नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा)
1. नरोरा (उत्तर प्रदेश)
2. कोकरापार ( गुजरात)
3. कैगा ( कर्नाटक)
4. कुडनकुलम ( तमिलनाडु)
5. कलपक्कम ( तमिलनाडु)
6. रावतभाटा ( चितौड़गढ़)
7. तारापुर ( महाराष्ट्र)
1. नवीनीकरण स्त्रोत:-
ऊर्जा के वे स्त्रोत जिनका पुर्नजन्म हो सकता है,नवीनीकरण स्त्रोत कहलाते हैं।
जैसे:- पेड़
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