उपसर्ग प्रकरण - परिभाषा, संस्कृत में उपसर्ग: संस्कृत व्याकरण
उपसर्ग दूसरे शब्दों की सहायता के बिना स्वतन्त्र रूप में अपना कोई अर्थ नहीं रखते, अतः इन्हें शब्दांश कहा जाता है। जो शब्दांश किसी शब्द के आदि में आकर उसके अर्थ में विशेषण उत्पन्न कर देते हैं अथवा सर्वथा उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहे जाते हैं
उपसर्ग की परिभाषा वे शब्दांश जो किसी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर
उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते हैं उन्हें उपसर्ग (Prefix)
कहते हैं।
नोट:- उपसर्ग का शाब्दिक अर्थ होता है शब्द के पूर्व में जुड़ना
जैसे-
'कार' के आगे वि, सम, प्र, प्रति आदि उपसर्ग लगाने से क्रमशः
वि + कार = विकार,
सम+कार = संस्कार ,
प्र + कार = प्रकार,
प्रीति + कार = प्रतिकार
शब्द बनते हैं जो अर्थों में बिल्कुल भिन्न हैं।
अतः कहा गया है
उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत् ।।
उपसर्ग लगाने से कहीं अकर्मक धातुएँ सकर्मक हो जाती हैं और उनके अर्थ में विलक्षणता आ जाती है। जैसे-अकर्मक भू का अर्थ होना है,
किन्तु अनु उपसर्ग लगाने से यह सकर्मक हो जाता है। इसका अर्थ अनुभव करना हो जाता है, जैसे-पातकी दुःखमनुभवति (पापा दुःख का अनुभव करता है)
धातु के साथ उपसर्ग लगाने से तीन परिवर्तन होते हैं
1.
क्रिया का अर्थ बिल्कुल बदल जाता है। जैसे- विजयः-पराजयः आहार:-प्रहारः, उपकार:-अपकार
2. क्रिया के अर्थ में विशिष्टता आ जाती है। जैसे-गमनम्-अनुगमनम।
3. क्रिया के ही अर्थ का अनुवर्तन हो जाता है । वसति-अधिवसति, उच्यते, प्राच्यते । गच्छाति-जाता है। आगच्छति-आता बिल्कुल ही भिन्न हैं।
उपसर्ग की विशेषताए ( Prefix Features )
1.
उपसर्ग
की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
2.
यह
शब्द के पूर्व में जोड़कर अर्थवान् होते हैं।
3.
उपसर्ग स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त नहीं होते हैं।
4.
उपसर्ग
नए शब्दों का निर्माण करते हैं।
5.
उपसर्ग
अपने आप में सार्थक शब्द नहीं होते हैं।
हिन्दी और संस्कृत में ही समान उपसर्ग निम्नलिखित हैं
(1.) संस्कृत भाषा के उपसर्ग / तत्सम
उपसर्ग
संस्कृत भाषा के वे उपसर्ग
जो हिंदी भाषा में प्रचलित है उन्हें संस्कृत के उपसर्ग या तत्सम उपसर्ग कहते हैं।
इनकी संख्या 22 है।
संस्कृत के उपसर्ग
संस्कृत में 22 उपसर्ग हों
है जो निम्न प्रकार है प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आ, नि, अधि, अभि, परि, सु, उत्,उप,अपि, प्रति, अति
उपसर्ग
उपसर्ग अर्थ उदाहरण
(1) प्र :- अधिक, प्रकर्ष - प्रयोग
(2) परा :- निषेध, विरोध - पराक्रम, पराजय
(3) अप :- हीनता,
बुरा, - कमी अपकार, अपशब्द, अपवाद
(4) सम :- अच्छा,
संयोग - सम्यक, संकल्प, संस्कार
(5) अनु :- पीछे, समान - अनुकरण, अनुरूप
(6) अव :- हीनता, बुराई - अवगुण, अवनति
(7) निस् : निषेध, बिना, रहित निष्कलंक, निष्पाप, निष्काम,
(8)
निर् :अभाव, निषेध निर्दय, निर्मल, निर्जन, निर्वाह, निर्भय
(9) दुस् :- बुरा, कठिन, निषेध- दुश्चरित्र, दुश्शासन, दुश्चिंता,
(10) दुर्: – बुरा, कठिन – दुरवस्था, दुरूपयोग, दुर्जन, दुर्गन्ध,
(11)
वि:- विशेष, विभिन्न - विज्ञान, विशारद, वियोग
(12)
आङ्
:- पर्यन्त, विपरत - आजन्म,
आदान, आकार
(13)
नि :- नीचे, निशेष - निवारण, निपात
(14)
अधि
:- ऊपर, श्रेष्ठ - अधिराज, अधिकृत, अधिपति
(15)
अति :- अधिक - अतिसार, अतिनिर्धन
(16)
अपि:– भी – अपितु, अपिधान, अपिह्त
(17)
सु :- अच्छा - सुधार, सुकर्म
(18)
उत्:- ऊपर, ऊँचा - उत्पत्ति, उत्कर्ष, उत्थान
(19)
अभि :- चारों ओर - समक्ष अभिमुख, अभिज्ञान
(20)
प्रति:-
विरुद्ध, सामने - प्रतिकूल, प्रत्यक्ष
(21)
परि:- आसपास, चारों ओर - परितुष्ट, परिताप
(22)
उप:-
समीप, छोटा - उपकार, उपवन
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