तत्पुरुष समास: परिभाषा, नियम और उदाहरण संस्कृत
तत्पुरुष समास की परिभाषा 'उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुष', अर्थात् जहाँ पर उत्तर (अन्तिम) पद का अर्थ प्रधान होता है वहां तत्पुरुष समास होता है।तत्पुुुुरुष के उदाहरण (Tatpurush Samas example)
- राज्ञ: पुरुष = राजपुरुषः' में पुरुष की प्रधानता है अतः यहाँ पर तत्पुरुष समास है
- वृकात् भीत: वृकभीत (वृक से भीत)
- ग्रामम् गतः ग्रामगतः
तत्पुरुष समास के भेद (Tatpurush samas ke bhed)
तत्पुरुष समास दो प्रकार का होता है
- व्यधिकरण तत्पुरुष समास
- समानाधिकरण तत्पुरुष समास
(1.) व्यधिकरण तत्पुरुष समास
जहाँ पर दोनों पदों में अलग-अलग विभक्तियाँ हों उसे व्यधिकरण तत्पुरुष कहते हैं। इसे ही विभक्ति तत्पुरुष भी कहते हैं।
जैसे-राज्ञः पुरुष: = राजपुरुषः
(2) समानाधिकरण तत्पुरुष समास
जहाँ पर दोनों पदों में एक समान विभक्तियाँ होती हैं उसे समानाधिकरण तत्पुरुष कहते हैं हसे ही कर्मधारय एवं द्विगु समास भी कहते हैं।
जैसे-कृष्णः सर्पः = कृष्णसर्पः
इस प्रकार तत्पुरुष समास के मुख्यतः तीन भेद होते हैं
- विभक्ति तत्पुरुष
- कर्मधारय
- द्विगु
विभक्ति तत्पुरुष-विभक्ति तत्पुरुष समास में दोनों पदों में अलग-अलग विभक्तियाँ होती हैं अतः इसे विभक्ति तत्पुरुष भी कहते हैं।
यह सात प्रकार का होता है
- प्रथमा तत्पुरुष
- द्वितीया तत्पुरुष
- तृतीया तत्पुरुष
- चतुर्थी तत्पुरुष
- पञ्चमी तत्पुरुष
- षष्ठी तत्पुरुष
- सप्तमी तत्पुरुष
(1) प्रथमा तत्पुरुष-प्रथम तत्पुरुष समास में प्रथम पद में प्रथमा विभक्ति होती है। प्रथमान्त पद के साथ समास होता है और समास होने पर विभक्ति का लोप हो जाता है।- पूर्व कायस्य = पूर्वकायः
- अपरं कायस्य = अपरकायः
- अर्धं पिपल्याः = अर्धपिप्पली
(2) द्वितीया तत्पुरुष-
द्वितीया भक्त्यन्त शब्दों का श्रित, अतीत, पतित, गत, अत्यस्त, प्राप्त, आपन्न आदि शब्दों में समास होता है।द्वितीया तत्पुरुष समास के उदाहरण
- कृष्णम् श्रितः = कृष्णाश्रितः
- दुःखम् अतीतः = दुःखातीतः
- ग्रामं गत: ग्रामगत:
- नरकम् पतितः नरहरित्रा
- सुखम् प्राप्तः सुखप्राप्तः
- दुःखम् आपन्नः दुखापन्नः
- ग्रामम् गतः ग्रामगतः
- शरणम् आगतः शरणागतः
- अन्नं बुभुक्षु अन्नंबुभुक्षु
- खट्वाम् आरुढ खट्वाआरुढ:
- मासं प्रमित मास प्रमित:
- मुहुर्त सुखम् मुहूर्त सुखम्
- अस्तं गत: अस्तगत:
- कष्टम् आपन्न कष्टापन्न:
(3) तृतीया तत्पुरुष-
तृतीया विभक्तत्यन्त शब्दों का गुण वचन के साथ, कृदन्त शब्दों के साथ तथा पूर्व, सदृश, सम, निपुण, कलह कुशल, विकल, युक्त आदि शब्दों के साथ तृतीया तत्पुरुष समास होता है।तृतीया तत्पुरुष समास के उदाहरण
- धान्येन अर्थः धान्यार्थः (धान्य से अर्थ)
- सुखेन युक्त: सुखयुक्तः(सुख से युक्त)
- नखैः भिन्नः नखभिन्नः (नखों से कटा हुआ)
- विद्यया हीनः विद्याहीनः (विद्या से हीन)
- विद्यया समः विद्यासमः (विद्या के समान)
- वाचा कलहः वाक्कलहः (वाणी से कलह)
- आचारेण निपुणः = आचारनिपुणः (आचार से निपुण)
- हरिणा त्रात: हरित्रात : (हरि से त्रात)
- शंकुलया खण्ड: शंकुलाखण्ड:
- धान्येन अर्थ धान्यार्थ:
- मासपूर्व: मासेन पूर्व:
- मातृसदृश: मात्रा सदृश:
- पितृसम: पित्रा सम:
- माषोनम् माषेण ऊनम्
- वाक्कलह: वाचा कलह:
- आचार निपुण: आचरेण निपुण:
- गुडमिश्र: गुडेन मिश्र:
- सर्पदृष्ट: सर्पेण दृष्ट:
- धनहीन: धनेश हीन:
(4) चतुर्थी तत्पुरुष-
चतुर्थी विभक्तत्यन्त शब्दों का तदर्थ, अर्थ, वलि, हित, सुख, रक्षित आदि शब्दों के साथ समास होता है।चतुर्थी तत्पुरुष समास के उदाहरण
- यूपाय दारुः = यूपदारु (खूटे के लिए लकड़ी)
- भूतेभ्यः वलिः भूतवलिः (भूतों के लिए वलि)
- गवे हितम् = गोहितम् (गायों के लिए हित)
- द्विजाय सुखम् = द्विजसुखम् (ब्राह्मणों के लिए सुख)
- द्विजाय अर्थम् = द्विजार्थः (द्विज के लिए यह)
- गवे रक्षितम् = गो रक्षितम् (गायों के लिए रक्षा)
(5) पञ्चमी तत्पुरुषः-
पञ्चमी विभक्त्यन्त शब्दों का भय (अर्थ) वाचक शब्दों के साथ तथा अपेत अपोद मुक्त, पतित आदि शब्दों के साथ समास होता है।
पञ्चमी तत्पुरुष समास के उदाहरण
- चौराद् भयम् = चौरभयम् (चोर से भय)
- चक्रात् मुक्तः चक्रमुक्तः (चक्र से मुक्त)
- सुखाद् __अपेतः = सुखापेतः (सुख से दूर)
- स्वर्गात पतितः = स्वर्ग पतितः (स्वर्ग से पतित)
- वृकात् भीत: वृकभीत (वृक से भीत)
- अल्पात् मुक्त अल्पान्मुक्त ( अल्प से मुक्त)
- धर्मात् च्युत: धर्मच्युत (धर्म से च्युत)
- देशांत् निर्गत: देशनिर्गत ( देश से निर्गत)
(6) षष्ठी तत्पुरुष
षष्ठी विभक्त्यन्त शब्दों का सुबन्त के साथ तथा याजक, पूजक, अध्यापक आदि शब्दों के साथ षष्ठी तत्पुरुष समास होता है।षष्ठी तत्पुरुष समास के उदाहरण
- राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः (राजा का पुरुष)
- विद्यायाः आलयः = विद्यालयः (विद्या का स्थान)
- ब्राह्मणानां याजकः = ब्राह्मणयाजकः (ब्राह्मणों की पूजा करने वाला)
- देवानां पूजकः = देवपूजकः (देवताओं का पूजक)
- राज्ञ: पुत्र राजपुत्र (राजा का पुत्र)
- गंगाया: तट गंगा तट ( गंगा का तट )
- देवानां राजा देवराज (देव का राजा)
- विद्या: आलय: विद्यालय (विद्या का आलय)
- धर्मस्य सभा धर्मसभा (धर्म का सभा)
- राज्ञ: सभा राजसभा (राजा की सभा)
(7) सप्तमी तत्पुरुष
सप्तमी विभक्तत्यन्त शब्दों का शौण्ड, कितव, धूर्त, प्रवीण, निपुण, पटु, कुशल, चपल, पण्डित, शुष्क, बन्धु, पक्व सिद्ध आदि शब्दों के साथ समास होता है।जैसे
- अक्षेष शौण्ड = अक्षशौण्डः (अक्ष (पासों) में चतुर)
- वचने धूर्तः = वचनधूर्तः - (वचन में धूर्त)
- युद्धे निपुणः = युद्धनिपुणः (युद्ध में निपुण)
- कार्ये कुशलः = कार्यकुशलः (कार्य में कुशल)
- वाचिक पटुः वाक्पटु (वाणी में कुशल)
- सभायाम् पण्डितः = सभापण्डितः (सभा में पण्डित)
- आतपे शुष्कः = आतपशुष्कः (धूप में सूखा)
- युद्ध स्थिरः = युधिष्ठिरः (युद्ध में स्थिर)
- चक्रे बन्ध: चक्रबन्ध ( चक्र में बंध)
- कर्मनि कुशल कर्मकुशल (कर्म में कुशल)
- वाचिक पटु: वाक्पटु ( वाणी में निपुण)
(8) नत्र तत्पुरुष समास-
नञ् (न) का सुबन्त के साथ समास होता है और न का लोप होकर 'अ' शेष रहता है जैसे- न ब्राह्मणः (जो ब्राह्मण न हो)
- न अश्वः = अनश्वः (जो अश्व न हो)
- उचितः अनुचितः (जो उचित न हो)
- आगतः = अनागतः (जो आया न हो)
- अन्ते वस्ति इति अन्तेवासी
- वन्दे चरति इति वनेचर
- के चरति इति खेचर
- युधि तिष्ठति इति युधिष्ठिर
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ReplyDeletenice this helped a lott for baords 2021-22 thanks a lott!!
ReplyDeleteVery nice explanation 💯💯
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