ऊर्जा (Energy) केे प्रकारर - गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा
आपने अनुभव किया होगा कि बहता हुआ पानी अपने साथ लकड़ी की वस्तुओं को बहा कर ले जाता है एवं आंधी में कई पेड़ उखड़ जाते है। जब हम लकड़ी की सतह के लम्बवत् पकड़ी हुई कील पर हथौड़े से प्रहार करते है तो कील लकड़ी में भीतर तक चली जाती है।तेज हवा के कारण पवन चक्की चलती है।
इन अनुभवों से हम पाते हैं कि गतिमान वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है। जब हम किसी वस्तु को एक निश्चित ऊँचाई तक उठाते है तो उसमें कार्य की क्षमता आ जाती है।जब बच्चा खिलौने में चाबी भरता है खिलौना किसी समतल धरातल पर रखते ही चलने लगता है। अर्थात भिन्न भिन्न वस्तुएँ विभिन्न प्रकार से कार्य करने की क्षमता अर्जित कर लेती है।
ऊर्जावान वस्तु द्वारा जब कोई कार्य किया जाता है तो उसमें निहित ऊर्जा का व्यय होता है एवं जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। वास्तव में जिस वस्तु में ऊर्जा है वह दूसरी वस्तु पर कोई बल लगा सकती है एवं दूसरी वस्तु में अपनी कुछ अथवा सम्पूर्ण ऊर्जा स्थानांतरित कर सकती है।
दूसरी वस्तु ऊर्जा ग्रहण करके कार्य करने की क्षमता हासिल कर लेती है एवं दूसरी वस्तु में गति में आ जाती है। इस प्रकार पहली वस्तु से कुछ ऊर्जा का स्थानांतरण दूसरी वस्तु में हो जाता है।
किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते है। किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का माप उस वस्तु द्वारा किये जा सकने वाले कार्य से करते है। किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है। इस प्रकार कार्य ही ऊर्जा का मापदंड है
- अतः ऊर्जा का मात्रक जूल है
- ऊर्जा अदिश राशि है।
- यदि 1 जूल कार्य करना हो तो आवश्यक ऊर्जा की मात्रा भी 1 जूल होगी।
यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy )
किसी वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा उसकी गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है जिससे वह वस्तु कार्य करती है।
यांत्रिक ऊर्जा को निम्न उदाहरणों के माध्यम से समझ सकते हैं।
जब हम एक हथौड़े को लकड़ी के गुटके पर खड़ी कील पर प्रहार करते हैं तो निम्न प्रक्रिया होती हैं।1. हथौड़े में भार के कारण उसमें स्थितिज ऊर्जा होती हैं।
2. जब हम हथौड़े को ऊपर उठाते हैं हम हथौड़े पर कार्य करते हैं एवं हथौड़े की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती हैं।
3. अब हम बलपूर्वक हथौड़े से कील पर प्रहार करते है तो उसमें गतिज ऊर्जा होती हैं जो कील को गुटके में अन्दर तक भेज देती है।
इस प्रक्रिया में कील को लकड़ी के गुटके में भेजने के लिये हथौड़े द्वारा अर्जित स्थितिज एवं गतिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते है, जिससे कार्य किया गया।
इसी प्रकार एक खींचे हुए धनुष में प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के कारण यांत्रिक ऊर्जा रहती है जिससे तीर दूर तक चला जाता है। एक चलती हुई कार में यांत्रिक ऊर्जा उसकी गति के कारण (गतिज ऊर्जा ) होती है।
इसी प्रकार एक खिलौना पिस्तौल में जब डार्ट को दबाया जाता है तो पिस्तौल के अन्दर लगी स्प्रिंग संपीडित होती है एवं उसमें स्थितिज ऊर्जा आ जाती है। पिस्तौल के ट्रिगर को दबाने पर अर्जित यांत्रिक ऊर्जा के कारण डार्ट दूर तक चला जाता है।
ऊर्जा मुख्यतः दो रूपों में होती है
1. गतिज ऊर्जा (Kinetic energy )
2 . स्थितिज ऊर्जा (Potential energy)
1. गतिज ऊर्जा (Kinetic energy )
किसी वस्तु में निहित उस ऊर्जा को जो उसकी गति के कारण है गतिज ऊर्जा कहलाती हैं।गतिज ऊर्जा के निम्न उदाहरण
1. पेड़ से गिरता हुआ फल
2. नदी में बहता हुआ पानी
3. उड़ता हुआ हवाई जहाज़
4. चलती हुई कार
5. उड़ता हुआ पक्षी
6. तेज हवा
7. दौड़ते हुए बच्चे
8. भागता हुआ घोड़ा
सभी कार्य करने की क्षमता उनमें विद्यमान गतिज ऊर्जा के कारण हैं।
एक गतिमान वस्तु में उसकी गति के कारण जो ऊर्जा है उसे मापने के लिये हम वस्तु द्वारा किये गये उस कार्य के परिमाण को ज्ञात करते हैं जो उस वस्तु के विरामावस्था से किसी निश्चित वेग v प्राप्त करने के लिये किया गया कार्य उस वस्तु की v वेग पर गतिज ऊर्जा के बराबर होगा।
गतिज ऊर्जा का गणितीय समीकरण
यदि m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग u से गतिशील है एवं इस पर एक बल F वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है जिससे वस्तु s दूरी तक विस्थापित होती है। मान लीजिए वस्तु पर किये गये कार्य के कारण वस्तु का वेग v हो जाता है एवं इस कारण उसमें त्वरण a हो तो गति के तृतीय समीकरण से
v²=u²+2as
त्वरण a=v²-u²/2s
न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से
F=ma
F=m[v²-u²/2s]
F.s.=m(v²-u²)/2
चूँकि कार्य W=F.s.
अतः
इस प्रकार हम पाते है कि किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
यदि वस्तु की प्रारंभिक गति शून्य हो अर्थात् वस्तु विरामावस्था से प्रारंभ होकर v गति प्राप्त करती हो तो
u=0 (प्रारंभिक गतिज ऊर्जा शून्य)
अतः किया गया कार्य
हम कह सकते है कि m द्रव्यमान एवं एक समान वेग v से गतिमान वस्तु की गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा सदैव धनात्मक होती हैं एवं वस्तु के द्रव्यमान व वेग पर निर्भर करती है।
गतिज ऊर्जा वेग की दिशा पर निर्भर नहीं करती हैं।
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