आर्किमिडीज सिद्धांत
आपने कभी महसूस किया होगा कि जब आप किसी टंकी से बाल्टी द्वारा पानी को बाहर निकाला तब बाल्टि के भार को महसूस किया था तो उसमें जब पानी के अन्दर बाल्टि अन्दर होती है तो उसका भार पानी के भार निकालने पर का भार अधिक होता है। यह परिवर्तन उत्पलावन बल के कारण होता है। इस बल का नाम खोजकर्ता आर्किमिडीज सिद्धांत के नाम से जाना जाता है कहते हैं इसी चर्चा हम प्रयोग के माध्यम से करेंगे।
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आर्कीमिडीज सिद्धांत का अनुप्रयोग
एक पत्थर के टुकड़े को किसी कमानीदार तुला से लटकाकर उसका भार नोट कर लेते हैं। तत्पश्चात इसी पत्थर को पानी से भरे एक बर्तन में डूबोकर तुला की माप में हुए परिवर्तन को नोट करते हैं।
आप देखेंगे कि पानी में डुबाने पर तुला के पाठ्यांक में कमी आती है यह कमी पत्थर द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होगी।
आर्किमिडीज का सिद्धान्त
जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप में डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है। यह उत्पलावन बल कहलाता है। इसे आर्किमिडीज का सिद्धांत कहते हैं।
उत्पलावन बल = विस्थापित द्रव का भार
= आयतन × घनत्व × गुरुत्व
- उत्पलावन बल की दिशा सदैव ऊपर की ओर होती है।
निष्कर्ष :
- यदि वस्तु का भार उत्पलावन बल से अधिक है तो वस्तु डुबेगी।
- वस्तु का भार उत्पलावन बल के बराबर है तो वस्तु डूबकर तैरेगी।
- यदि वस्तु का भार उत्पलावन बल से कम है तो वस्तु सतह से बाहर निकल कर तैरेगी।
आर्किमिडीज सिद्धांत के उपयोग
- यह पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने में उपयोगी है।
- जलयानों और पनडुब्बी के डिजाइन बनाने में किया जाता है।
- दुग्धमापी (Lactometer ) से दूध की शुद्धता मापने के लिए
- आद्रता (Hydrometer ) से द्रवों का घनत्व ज्ञात करने में
- पानी में बर्फ का तैरना भी इससे समझा जा सकता है।
- उत्पलावकता, तरलो ( द्रव, गैस) का गुण है।
आर्किमिडीज सिद्धांत ( उत्पलावन बल ) के उदाहरण
- लोहे कील का डुबना : लोहे कील का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक होता है। इस लिए कील का उत्पलावन बल कम है। तो कील पानी में डुब जाएगी।
- कॉक का पानी में तैरना : कॉक का घनत्व पानी के घनत्व से कम है इसलिए पानी में कॉक तैरने लगता है।
- तालाब की तुलना में समुद्र पानी में तैरना ज्यादा आसान होता है क्योंकि समुद्र पानी का घनत्व, तालाब के पानी के घनत्व से अधिक होता है। अतः उत्पलावन बल अधिक लगता है।
- उत्पलावन बल के कारण पत्थर को हवा के बजाय पानी में उठाना अधिक आसान होता है।
- झील में पत्थर को डालने पर जैसे-जैसे वह नीचे आता है उस पर सभी जगह उत्पलावन बल का मान समान रहता है।
- 100 Kg लोहे की छड़ एवं 100 Kg रूई का बोरा पलड़ वाली तुला ♎ से तोलने पर संतुलन पाठ्यांक 100 Kg आता है। परन्तु रुई का आयतन अधिक होने के कारण इस पर वायु का अधिक उत्पलावन बल लगता है जिससे इसके भार में कमी हो जाती है जबकि वास्तव में रुई का बोरा 100Kg से अधिक से था।
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