ऊर्जा का क्षय (Dissipated of energy )
जब ऊर्जा का एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में रूपान्तरित होती है तो ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मा, ध्वनि, प्रकाश आदि के रूप में क्षय हो जाता है। ऊर्जा के क्षय होने से हमारा तात्पर्य यही है कि रूपांतरण या संचरण की प्रक्रिया में ऊर्जा का कुछ भाग एक ऐसे रूप में बदल जाता है जिसकी हमें आवश्यकता नहीं है अथवा जिसे हम उपयोग में नहीं ले पाते है। हालाँकि कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। किन्तु इस अनुपयोगी क्षय के कारण हम शत प्रतिशत दक्ष निकाय नहीं बना पाते हैविद्युत ऊर्जा के प्रकार
ऊर्जा का क्षय मुख्य रूप से निम्न प्रकार होता है।
- ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy)
- प्रकाश ऊर्जा (Light Energy)
- ध्वनि ऊर्जा (Sound Energy )
1.ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy )
जब भी कोई कार्य किया जाता है तो घर्षण, हवा द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध एवं विभिन्न प्रतिबाधाओं के कारण कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है। सामान्यतः वह वस्तु जिस पर कार्य किया जा रहा है,गरम हो जाती है। ऊर्जा क्षय का अधिकांश भाग ऊष्मा ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी हो जाता है। एक तापदीप्त बल्ब में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा का अधिकांश भाग अनुपयोगी हो जाता है।
2. प्रकाश ऊर्जा (Light Energy )
विभिन्न प्रकार की दहन प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग प्रकाश ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी होकर क्षय हो जाता है।
3. ध्वनि ऊर्जा (Sound Energy )
टक्कर, घर्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि ऊर्जा के रूप में भी क्षय हो जाता है। घर्षण आदि के कारण अणुओं में होने वाले कंपन दाब तरंग में बदल जाते है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
प्रारंभ में विद्युत उत्पादन किया जाता है जहाँ विभिन्न प्रक्रियाओं में कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। नाभिकीय संयंत्रों, कोयला संयंत्रों, जल-विद्युत परियोजनाओं,पवन बिजलीघरों व अन्य माध्यमों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा ऊष्मा ऊर्जा या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ ऊर्जा अनुपयोगी होकर क्षय हो जाती है। ऊष्मा ऊर्जा से भाप बनाकर टरबाइन घुमाई जाती है। टरबाइन की इस यांत्रिक ऊर्जा के रूप में प्राप्त गतिज ऊर्जा के द्वारा जनित्र को घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में भी कुछ ऊर्जा क्षय हो जाती है। टरबाइन के द्वारा जनित्र में विद्युत उत्पादन होता है। एक कोयला संयंत्र की दक्षता करीब 40% होती है। जनित्रों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा विद्युत आवेशों की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। यह विद्युत ऊर्जा सुचालको की सहायता से हमारे घरों तक पहुँचाई जाती है। इस दौरान उसके संचरण, वितरण एवं भंडारण में भी विद्युत ऊर्जा का क्षय होता है। जब हम घर में लाइट का स्विच चालू करते है तो विद्युत धारा बल्ब तक विद्युत ऊर्जा को ले जाती है। विद्युत आवेश बल्ब के फिलामेंट पर पहुँचकर अपनी गतिज ऊर्जा फिलामेंट को दे देते है। जिससे फिलामेंट में ऊष्मा उत्पन्न होती है। एक निश्चित ऊष्मा पर हमें प्रकाश ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में अधिकांश ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा के रूप में क्षय हो जाती है। कोयले में उपलब्ध कुल रासायनिक ऊर्जा का बहुत थोड़ा हिस्सा ही हम प्रकाश ऊर्जा के रूप में प्राप्त करते है।
इसी प्रकार वाहनों में आन्तरित दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है जो पिस्टन पर दबाव बनाती है पिस्टन घूमने लगाया है। यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश, पहियों एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे कई अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है। वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन की कुल ऊर्जा क्षमता का करीब एक चौथाई दक्षता ही वर्तमान में हम वाहनों द्वारा प्राप्त करते है।
ऊर्जा क्षय को कम करने के उपाय (Reducing energy dissipation )
ऊष्मा हमारे जीवन का आधार है एवं इसे समुचित उपयोग में लेना हम सभी की जिम्मेदारी है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिये यह और भी महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऊर्जा आवशयकताओं की पूर्ति अधिकतम दक्षता के साथ करें एवं अनावश्यक ऊर्जा क्षय को रोके।
किसी कार्य को करने के दौरान ऊष्मा,ध्वनि, प्रकाश, घर्षण आदि से होने वाले ऊर्जा क्षय को जितना कम किया जा सके उतनी अधिक ऊर्जा हमें कार्य को पुरा करने के लिये मिलेगी। किसी कार्य को संपन्न करने के एक से अधिक विकल्प हो तो हमें उस विकल्प को चुनना चाहिए जो अधिक ऊर्जा दक्ष हो।
घरों में उपयोग में आने वाली विद्युत युक्तियों जैसे टीवी, माइक्रोवेव, वांशिग मशीन आदि को जब उपयोग में नहीं ले रहे हो तो उन्हें आपातोपयोगी अवस्था (standby mode ) में रखने से कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। अतः जब इन्हें उपयोग में नहीं लेना हो तो हमें इनके स्विच ऑफ कर देना चाहिए।
वर्तमान में वाहन,पंखा,रेफ्रिजरेटर, वांशिग मशीन, वातानुकूलन यंत्र एवं अन्य कई विद्युत साधित्र (Appliance ) में स्टार रेटिंग दी जाती है।ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण ज्यादा ऊर्जा दक्ष होते है। ऊर्जा दक्ष साधित्र करीब 30% तक बिजली की खपत करते है। साथ ही हमें उतनी ही क्षमता का साधित्र खरीदना चाहिए जितनी हमारी आवश्यक रूप से ज्यादा क्षमता का उपकरण खरीदने से ज्यादा ऊर्जा भी खर्च होगी।
बिजली का उपयोग कम करने के लिए हमें घरों में CFL एवं LED लाइटो का उपयोग करना चाहिए। एक सामान्य तापदीप्त बल्ब 1200 घंटे की औसत सेवा देता है जबकि CFL की उम्र 8000 घंटे एवं LED का उपयोग काल करीब 50000
3. ध्वनि ऊर्जा (Sound Energy )
टक्कर, घर्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि ऊर्जा के रूप में भी क्षय हो जाता है। घर्षण आदि के कारण अणुओं में होने वाले कंपन दाब तरंग में बदल जाते है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
प्रारंभ में विद्युत उत्पादन किया जाता है जहाँ विभिन्न प्रक्रियाओं में कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। नाभिकीय संयंत्रों, कोयला संयंत्रों, जल-विद्युत परियोजनाओं,पवन बिजलीघरों व अन्य माध्यमों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा ऊष्मा ऊर्जा या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ ऊर्जा अनुपयोगी होकर क्षय हो जाती है। ऊष्मा ऊर्जा से भाप बनाकर टरबाइन घुमाई जाती है। टरबाइन की इस यांत्रिक ऊर्जा के रूप में प्राप्त गतिज ऊर्जा के द्वारा जनित्र को घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में भी कुछ ऊर्जा क्षय हो जाती है। टरबाइन के द्वारा जनित्र में विद्युत उत्पादन होता है। एक कोयला संयंत्र की दक्षता करीब 40% होती है। जनित्रों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा विद्युत आवेशों की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। यह विद्युत ऊर्जा सुचालको की सहायता से हमारे घरों तक पहुँचाई जाती है। इस दौरान उसके संचरण, वितरण एवं भंडारण में भी विद्युत ऊर्जा का क्षय होता है। जब हम घर में लाइट का स्विच चालू करते है तो विद्युत धारा बल्ब तक विद्युत ऊर्जा को ले जाती है। विद्युत आवेश बल्ब के फिलामेंट पर पहुँचकर अपनी गतिज ऊर्जा फिलामेंट को दे देते है। जिससे फिलामेंट में ऊष्मा उत्पन्न होती है। एक निश्चित ऊष्मा पर हमें प्रकाश ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में अधिकांश ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा के रूप में क्षय हो जाती है। कोयले में उपलब्ध कुल रासायनिक ऊर्जा का बहुत थोड़ा हिस्सा ही हम प्रकाश ऊर्जा के रूप में प्राप्त करते है।
इसी प्रकार वाहनों में आन्तरित दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है जो पिस्टन पर दबाव बनाती है पिस्टन घूमने लगाया है। यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश, पहियों एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे कई अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है। वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन की कुल ऊर्जा क्षमता का करीब एक चौथाई दक्षता ही वर्तमान में हम वाहनों द्वारा प्राप्त करते है।
इसी प्रकार वाहनों में आन्तरित दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है जो पिस्टन पर दबाव बनाती है पिस्टन घूमने लगाया है। यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश, पहियों एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे कई अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है।
ऊर्जा क्षय को कम करने के उपाय (Reducing energy dissipation )
ऊष्मा हमारे जीवन का आधार है एवं इसे समुचित उपयोग में लेना हम सभी की जिम्मेदारी है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिये यह और भी महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऊर्जा आवशयकताओं की पूर्ति अधिकतम दक्षता के साथ करें एवं अनावश्यक ऊर्जा क्षय को रोके।
किसी कार्य को करने के दौरान ऊष्मा,ध्वनि, प्रकाश, घर्षण आदि से होने वाले ऊर्जा क्षय को जितना कम किया जा सके उतनी अधिक ऊर्जा हमें कार्य को पुरा करने के लिये मिलेगी। किसी कार्य को संपन्न करने के एक से अधिक विकल्प हो तो हमें उस विकल्प को चुनना चाहिए जो अधिक ऊर्जा दक्ष हो।
घरों में उपयोग में आने वाली विद्युत युक्तियों जैसे टीवी, माइक्रोवेव, वांशिग मशीन आदि को जब उपयोग में नहीं ले रहे हो तो उन्हें आपातोपयोगी अवस्था (standby mode ) में रखने से कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। अतः जब इन्हें उपयोग में नहीं लेना हो तो हमें इनके स्विच ऑफ कर देना चाहिए।
वर्तमान में वाहन,पंखा,रेफ्रिजरेटर, वांशिग मशीन, वातानुकूलन यंत्र एवं अन्य कई विद्युत साधित्र (Appliance ) में स्टार रेटिंग दी जाती है।ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण ज्यादा ऊर्जा दक्ष होते है। ऊर्जा दक्ष साधित्र करीब 30% तक बिजली की खपत करते है। साथ ही हमें उतनी ही क्षमता का साधित्र खरीदना चाहिए जितनी हमारी आवश्यक रूप से ज्यादा क्षमता का उपकरण खरीदने से ज्यादा ऊर्जा भी खर्च होगी।
बिजली का उपयोग कम करने के लिए हमें घरों में CFL एवं LED लाइटो का उपयोग करना चाहिए। एक सामान्य तापदीप्त बल्ब 1200 घंटे की औसत सेवा देता है जबकि CFL की उम्र 8000 घंटे एवं LED का उपयोग काल करीब 50000
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