टिण्डल प्रभाव (Tyndall effect)
जब अंधेरे में किसी वास्तविक विलियन में से प्रकाश पुंज को गुजारा जाता है तो विलयन में वह प्रकाश दिखाई नहीं देता जब तक की आंखों को प्रकाश की दिशा के पथ में न ले जाया जाए। परंतु जब प्रकाश पुंज को कोलाइडी विलियन में से गुजारा जाता है तो यह है प्रकाश चमकीली वर्ण रेखा के रूप में दिखाई देता है। यह परिघटना टिंडल प्रभाव कहलाती है।
टिंडल प्रभाव
टिंडल प्रभाव की खोज भौतिक शास्त्री जॉन टिंडल के नाम पर टिंडल प्रभाव नाम पड़ा है। यह प्रक्रिया कोलाइडी कणों की सहत से प्रकाश का प्रकीर्णन होने के कारण होती है प्रकाश का प्रकीर्णन परीक्षित प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के अपवर्तनांक के अंतर के कारण होती है द्रव विरोधी कोलाइड के लिए इस अंतर का मान अधिक होता है।
टिडंल प्रभाव का गणितीय सिद्धांत
प्रकाश का प्रकीर्णन प्रकाश की तरंगदैर्ध्य चतुर्थ घात का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
नीले रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है अतः इसका प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है। इसी कारण समुंद्री जल, आकाश, तरणताल, जल नीले दिखाई देते हैं
उदाहरण
जब सूर्य की किरने किसी अंधेरे कमरे में किसी क्षेत्र में से होकर गुजरती है तो किरणों के पथ में उपस्थित धूल के कणों का दिखाई देना टिण्डल प्रभाव का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
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