विद्युत धारा : प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा उपयोग और दोष

प्रत्यावर्ती धारा Alternating Current) और दिष्ट धारा (Direct Current)

प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current)

जब भी किसी परिपथ में वोल्टता का स्त्रोत जोड़ा जाता है।तो चालकों मैं मुक्त इलेक्ट्रॉन यादृच्छिक गति के साथ निश्चित दिशा में अथवा गति भी करते हैं।

प्रत्यावर्ती धारा (Alternative Current)

ऐसी धारा जो समय के सापेक्ष आवर्ती रूप से परिवर्तित होती हों तथा एकांतर अर्द्धचक्र में धनात्मक और ऋणात्मक होती हो, प्रत्यावर्ती धारा वोल्टता कहलाती है।

प्रत्यावर्ती धारा (Alternative Current) के महत्वपूर्ण बिंदु

टर्मिनलों की ध्रुवता समय के साथ आवर्ती रूप से परिवर्तित होती है।

निम्न विभव से उच्च विभव की ओर दिशा समय के साथ आवर्ती रूप से विपरीत होती रहती है।

प्रत्यावर्ती धारा तरंग प्रारूप के अनुसार कई प्रकार की होती है

  1. वर्गाकार धारा (Square wave Current)
  2. त्रिकोणीय तरंग धारा (Triangular wave Current)
  3. ज्यावक्रीय तरंग धारा (Sinusoidal Wave Current)

वर्गाकार धारा (Square wave Current)

इस प्रकार की धारा में शून्य से T/2 समय तक धारा का मान अधिकतम रहता है। तथा T/2 समय पर धारा का मान तत्काल होकर समय तक बना रहता है। पुनः समय पर धारा शून्य हो जाती है।

प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएं

1.   प्रत्यावर्ती धारा (AC) को ट्रांसफार्मर द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है। जिससे उच्च वोल्टता एवं निम्न धारा पर बहुत कम शक्ति हृास से विद्युत संचरण किया जाता है।

2.   प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दिष्टकारी की सहायता से आसानी से दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जा सकता है।

3.   प्रत्यावर्ती धारा (AC) जनित्र एवं मोटर अधिक दृढ़ एवं प्रचालन में अधिक सुविधाजनक होते हैं तथा इनकी लागत दिष्ट धारा जनित्र से कम होती है।

प्रत्यावर्ती धारा के दोष

1.   किस मान की प्रत्यावर्ती वोल्टता उसी मान की दिष्ट वोल्टता की तुलना में अधिक खतरनाक होती है क्योंकि प्रत्यावर्ती वोल्टता का शिखर मान इसके rms मान का 2 गुना होता है।

2.   प्रत्यावर्ती धारा का सीधा उपयोग विद्युत अपघटन इलेक्ट्राॅन प्लेटिंग में नहीं किया जा सकता है। इसे विद्युत चुंबक बनाने में भी काम नहीं लिया जा सकता है।

3.   त्वचिक प्रभाव – उच्च आवृति की प्रत्यावर्ती धारा किसी तार के सम्पूर्ण अनुप्रस्थ परिच्छेद से समान रूप से वितरित होते हुए प्रवाहित नहीं होती बल्कि तार के पृष्ठ की परतों में से प्रवाहित होती है। अतः जहां मोटे तार की आवश्यकता हो वहां अनेक पतले तारों को मिला दिया जाता है।

धारा (Current) - परिपथ में किसी बिंदु से एकाक समय में प्रवाहित आवेश प्रवाह की दर धारा कहते हैं।

  • दिष्ट धारा परिपथ में धारा स्रोत सेल या बैटरी होता है।
  • प्रतिरोध (R) द्वारा धारा नियंत्रण किया जाता है।
  • सामान्यतः विद्युत ऊर्जा प्रत्यावर्ती धारा के रूप में उत्पन्न होती है तथा आवश्यकता होने पर इसे आसानी से दिष्ट धारा में परिवर्तित हो जाती है।
  • प्रत्यावर्ती धारा का उत्पादन एवं संचरण कम खर्च में होती है।
  • प्रत्यावर्ती धारा को नियंत्रण करने के लिए प्रतिरोध (R), प्रेरकत्व (L) तथा धारिता (C)का उपयोग भी करते हैं।
  • प्रत्यावर्ती धारा को कम या अधिक करने के लिए ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है।

दिष्ट धारा (Direct Current)

ऐसी धारा या वोल्टता जिसके प्रवाह की दिशा समय के साथ परिवर्तित नहीं हो, दिष्ट धारा या वोल्टता कहलाती है।

दिष्ट धारा (Direct Current) महत्वपूर्ण बिंदु

  • धारा वोल्टता स्त्रोतों से उत्पन्न होती है।
  • टर्मिनलों की ध्रुवता समय के साथ नियत रहती है।
  • धारा का मान को समय के साथ आलेखित करने पर आलेख समय अक्ष के समानांतर सरल रेखा के रूप में प्राप्त होता है, इस धारा या वोल्टता को समदिष्ट या दिष्ट धारा या वोल्टता कहते हैं।
  • दिष्ट धारा की आवृत्ति f शून्य होती है।
  • धारा की दिशा के साथ अपरिवर्तित रहतीं हैं परन्तु धारा के मान में आवृत्ति रूप से अल्प परिवर्तन होता है ऐसी धारा को असमान उच्चावचन वाली दिष्ट धारा या वोल्टता कहते हैं।

दिष्ट धारा के उपयोग

  • विद्युत सेल, बैटरी, दिष्ट धारा जनित्र से प्राप्त धारा या वोल्टता, दिष्ट धारा या वोल्टता होती है।

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