प्रोटीन क्या है , परिभाषा , प्रकार , प्रोटिन के कार्य , संरचना Protein in hindi

 प्रोटीन की परिभाषा 

प्रोटीन, अमीनो अम्ल के बहुलक होते हैं, जो पेप्टाइड बंधों द्वारा जुड़े होते हैं। प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्ल की 20 प्रकार की इकाइयों से मिलकर बना होता है। ( यह भी पढ़ें :- कार्बोहाइड्रेट के प्रकार, कार्य)

  • प्रोटीन हमारी कोशिकाओं में सम्पन्न होने वाली जैव रासायनिक अभिक्रियाऔं व कोशिका के विकास एवं मरम्मत हेतु आवश्यक है। प्रोटीन से शरीर को नाइट्रोजन प्राप्त होती है।
  • प्रोटीन, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों से बनें अमीनो अम्ल के अणुओं से बनते हैं। इसलिए इसे नाइट्रोजनी पदार्थ कहा जाता है।
प्रोटीन के कार्य

प्रोटीन की खोज

प्रोटीन की खोज मुल्डर ने की थी तथा इसका नाम बर्जीलियस ने दिया 

प्रोटीन के स्रोत

भोजन में प्रोटीन के प्रमुख स्त्रोत - दालें, दूध,अंडा, अंकुरित अनाज, सोयाबीन, मूंगफली, फलीदार सब्जियां,मटर आदि 

नोट:- 1 ग्राम प्रोटीन में लगभग 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रोटीन के कार्य

प्रोटीन हमारे शरीर की वृद्धि विकास एवं निर्माण के लिए आवश्यक है।

  • ये प्रोटीन के विभाजन एवं इनकी टूट फूट की मरम्मत में सहायक होते हैं।
  • प्रोटीन विभिन्न प्रकार की जैव रासायनिक क्रियाओं में एंजाइमों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट एवं वसा के अभाव में प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • ये मानसिक शक्ति प्रदान करते हैं।
  • बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में प्रोटीन का सेवन अधिक मात्रा में किया जाना चाहिए।
  • प्रोटीन, कोशिकाओं की वृद्धि, हीमोग्लोबिन के रूप में शरीर में गैसीय संवहन एवं उपापचयी प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं।
  • ये शरीर में अम्ल क्षार का सन्तुलन बनाए रखते हैं।

प्रोटीन का परीक्षण

बेसन का गाढ़ा जलीय घोल बनाते हैं। इसमें दो बूंद नीला थोथा (कॉपर सल्फेट) एवं दस बूंद कास्टिक सोडा (सोडियम हाइड्रोक्साइड) को डालकर हिलाते हैं। मिश्रण का रंग बैंगनी हो जाता है।

प्रोटीन, नीला थोथा (कॉपर सल्फेट) एवं कास्टिक सोडा (सोडियम हाइड्रोक्साइड) से क्रिया कर बैंगनी रंग के घोल में परिवर्तित हो जाता है। कि इसमें प्रोटीन उपस्थित हैं।

प्रोटीन क्या है इसके महत्वपूर्ण उपयोग?

प्रोटीन कार्य 
स्पाईरूलिना शैवाल दुनिया में प्रोटीन का प्रचुरतम स्रोत जो 65% प्रोटीन पायी जाती है।
सोयाबीन 46% प्रोटीन 
स्पाईरूलिना नील रहित शैवाल में पायी जाती है।
राजमा दाल दालों में सर्वाधिक मात्रा में प्रोटीन पायी जाती है।
केसीन प्रोटीन दूध में पायी जानें वाली प्रोटीन है। 
एल्ब्यूमीन प्रोटीन अण्डे में पायी जानें वाली प्रोटीन है।
ग्लूटिन प्रोटीन गेहूं में पायी जानें वाली प्रोटीन है।
जीन प्रोटीन मक्का में पायी जानें वाली प्रोटीन है।
कोलेजन प्रोटीन शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाली प्रोटीन है।
किरेटिन प्रोटीन मृत प्रोटीन है जो बाल, नाखून एवं जानवरों के खुर, सींग में पायी जाती है।
हिपेरिन प्रोटीन रक्त में पाई जाती है जो कि रक्त प्रतिस्कन्दक का कार्य करती है।
प्रोथोम्ब्रीन प्रोटीन रक्त का थक्का बनाती हैं।
ग्लोब्युलिन प्रोटीन प्रतिरक्षी बनाती है।
ओसीन प्रोटीन हड्डियों में पायी जानें वाली प्रोटीन है।
कॉण्ड्रिन प्रोटीन उपास्थियों में पायी जानें वाली प्रोटीन है।
एन्जाइम प्रोटीन जैव उत्प्रेरक, शरीर में निरंतर होने वाली जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में सहायता करता है।
संकुचनशील प्रोटीन ये गति तथा चालन के लिए मांसपेशियों का संकुचन करते हैं।
हॉर्मोन प्रोटीन कुछ हार्मोन प्रोटीन होते हैं। ये हॉर्मोन अनेक शारीरिक प्रकार्य को नियंत्रित करते हैं।
रक्षात्मक प्रोटीन ये कोशिकाओं तथा ऊतकों की संरचना में भाग लेते हैं।
परिवहन प्रोटीन यह रक्त के माध्यम से विभिन्न पदार्थों को विभिन्न ऊतकों तक ले जाता है।
संकुचनशील प्रोटीन ये गति तथा चालन के लिए मांसपेशियों का संकुचन करते हैं।

प्रोटीन के प्रकार 

  1. सरल प्रोटीन
  2. संयुक्त प्रोटीन
  3. व्युत्पन्न प्रोटीन

1. सरल प्रोटीन 

ऐसे प्रोटीन जिनके अपघटन ( Hydrolysis) से केवल अमीलो अम्ल प्राप्त होता है। यह एक सरल प्रकार की प्रोटीन होता है।

उदाहरण:- हिपेरिन, ग्लूटिन, एल्ब्यूमिन, केसीन, ओरायजीन,जीन

2. संयुक्त प्रोटीन (Conjugated protein)

जब प्रोटीन के साथ कोई अन्य अणु जुड़ जाता है तो उसे संयुग्मित प्रोटीन कहते हैं।

उदाहरण

  1. हीम + ग्लोबिन = हीमोग्लोबिन
  2. ग्लाइकोजन + प्रोटीन = ग्लाइकोप्रोटीन
  3. फॉस्फोरस + प्रोटीन = फॉस्फोप्रोटीन

3. व्युत्पन्न प्रोटीन (Derived protein)

 प्राकृतिक प्रोटीन जलीय अपघटन द्वारा प्राप्त होता है।

उदाहरण - पेप्टोन्स 

प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग

  1. क्वाशियरक्योर :- यह 0-5 वर्ष तक बच्चों में होता है। जो कि केवल प्रोटीन की कमी से होता है। जिसका मुख्य कारण शिशुओं को स्तनपान न कराना है। इसमें बच्चे का शारीरिक विकास अवरूद्ध हो जाता है।
  2. मैरस्मस ( भूखमरी/ कुपोषण) :- यह भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा की कमी से होता है। इसमें बच्चों का शारीरिक विकास अवरूद्ध हो जाता है।

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