प्रकाश का परावर्तन | Reflection of light in Hindi

प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light ) क्या है?

किसी तल पर आपतित प्रकाश के पुनः उसी माध्यम में लौट आने कि घटना को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है।जब प्रकाश की किरणें किसी पृष्ठ पर गिनती है तो उनमें से अधिकांश किरणें निश्चित दिशाओं में गमन कर जाती है, यही परावर्तन है।

प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं

किसी तल पर आपतित प्रकाश के पुनः उसी माध्यम में लौट आने कि घटना को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है।

नोट:-

  1. प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में औसतन 499 सेकंड (8मिनट 19 सेकंड ) का समय लगता है।
  2. ऊर्जा की धारा को प्रकाश पुंज कहते है।
  3. प्रकाश के चलने के पथ की दिशा को किरण कहते है।

परावर्तन के कुछ उदाहरण 

  1. परावर्तन के कारण सूखा बालू चमकीला दिखाई देता है, जबकि गीला बालू द्युतिहीन होता है।
  2. जिन पदार्थों से प्रकाश बाहर नहीं निकल पाता है उनको अपारदर्शी वस्तुएँ कहते है।
  3. वायुमण्डल में धुँए तथा धूल के कण प्रकाश को विसरित करते है।
  4. परावर्तन की घटना में आवृति, चाल, तरंगदैर्ध्य, अपरिवर्तित रहती है।
  5. परावर्तन की घटना में तीव्रता तल या पृष्ठ की प्रकृति के अनुसार परिवर्तित होती है।
  6. जब कोई प्रकाश किरण किसी पृष्ठ पर लम्बवत् टकराती है तो वह अपने मार्ग से ही वापस लौट जाती है। क्योंकि लम्बवत् आपतन में, आपतन कोण शून्य होता है। अतः परावर्तन कोण भी शून्य होगा।
  7. परावर्तन के नियम सभी पृष्ठों चाहे समतल या गोलीय के लिए लागू होते है।

दैनिक जीवन में हम सभी दो प्रकार के परावर्तन देखते है-


1.नियमित परावर्तन (Regular reflection )


2.विसरित परावर्तन (Diffused reflection)


1.नियमित परावर्तन (Regular reflection)

जब प्रकाश किसी चिकने समतल पृष्ठ (जैसे दर्पण) पर आपत्ति होता है तो वह समतल पृष्ठ एक विशेष दिशा से देखने पर चमकता हुआ दिखता है एवं अन्य दिशाओं में लगभग सामान्य ही रहता है। यदि हम दर्पण की दिशा को परिवर्तित करते है तो वह दर्पण अब अन्य दिशा से चमकीला दिखाई देता है। इसी प्रकार प्रकाश किरणों के दर्पण पर गिरने की दिशा बदलने पर दर्पण हमें अन्य दिशा में चमकीला दिखाई देता है। आपतित प्रकाश पुंज (light beam ) को चिकने पृष्ठ द्वारा उसी माध्यम में एक विशिष्ट दिशा में भेज देने को नियमित परावर्तन कहते है।


2.विसरित परावर्तन (Diffused reflection)

आप सभी ने अनुभव किया होगा कि जब किसी कमरे में किसी खिड़की आदि से प्रकाश किसी दीवार पर गिरता है तो दीवार का वह भाग कमरे में सभी जगह से समान रूप से प्रदीप्त दिखाई देता है। इसका कारण यह है कि प्रकाश एक निश्चित दिशा से दीवार पर गिरने के पश्चात सभी दिशाओं में परावर्तित हो जाता है। सामान्य जीवन में अधिकांश वस्तुओं को हम इसी कारण देख पाते है। खुरदरे पृष्ठ, धुल, धुएं के सूक्ष्म कण आदि प्रकाश को विभिन्न दिशाओं में विसरित कर देते है। 


जब सूर्य का प्रकाश वायुमण्डल की गैसों के अणुओं से प्रकीर्णित होता है तो नीले रंग की तरंगे सर्वाधिक विसरित होती है, अतः हमें आकाश नीला दिखाई देता है। वायुमण्डल के बाहर से यदि हम आकाश को देखें तो आकाश काला दिखाई देगा। खुरदरे पृष्ठों द्वारा प्रकाश को सभी दिशाओं में बिखेरने के प्रभाव को विसरित परावर्तन कहते है।
सामान्यतः कांच अथवा पारदर्शी पदार्थ के पीछे वाले भाग पर परावर्तन आवरण (चांदी अथवा एल्युमीनियम की परत) लगाकर उन्हें दर्पण या परावर्तन पृष्ठ की तरह उपयोग में लिया जाता है।

परावर्तन के नियम (Laws of Reflection )


  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में स्थित होते है।
  2. नियमित परावर्तन में आपतन कोण I तथा परावर्तन कोण r समान होते है  अर्थात् 
  3. जब कोई प्रकाश किरण विरल माध्यम के पृष्ठ से परावर्तित होती है तो उसकी कला अपरिवर्तित रहती है, जबकि सघन माध्यम से परावर्तित होने पर उसकी कला विपरीत हो जाती है।अर्थात् उसमें  ╥ ( पाई ) का कलान्तर या ᆺ/2 का पथान्तर या T/2का समयान्तर उत्पन्न हो जाता है। इसे स्टोक नियम भी कहते है।
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