अन्वेषण विधि Exploration Method
इसमें तथ्यों सिद्धांत आदि की शिक्षा की अपेक्षा ज्ञान की प्राप्ति कैसे की
जाए इस पर अधिक बल दिया जाता है। शैक्षिक दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विधि है
क्योंकि इसके द्वारा विद्यार्थियों में खोजी प्रवृत्ति वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।
अन्वेषण विधि जनक हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग है इस विधि को ह्यूरिस्टि विधि के
नाम से जाना जाता है।
प्रो.एच.ई.आर्मस्ट्रांग के अनुसार “ शिक्षण कि वह
विधि है जिसमें एक बालक को एक अच्छे अनुसंधानकर्ता या खोजी के रूप में देखा जाता
है”
हर्बर्ट स्पेन्सर " बालकों को कम से कम बताया जाये और जितना अधिक सम्भव हो, उन्हें खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।"
अन्वेषण विधि के गुण
- यह मनोवैज्ञानिक विधि है इस विधि में छात्रों की रुचि, जिज्ञासा को अधिक महत्व दिया जाता है।
- यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में सहायक है।
- क्रियाशीलता के सिद्धांत पर आधारित है।
- यह स्व अनुशासन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।
- इस विधि के द्वारा विद्यार्थियों को भविष्य के अनुसंधान में सहायता मिलती है।
- यह छात्र केंद्रित विधि है।
- इस विधि से विद्यार्थियों को गृह कार्य देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है
- इस विधि के माध्यम से विद्यार्थियों का आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है
अन्वेषण विधि के दोष
- यह विधि धीमी गति से चलती है जिसमें समय अधिक लगता है।
- यह विधि व्यक्तिगत भिन्नता के कारण अधिगम को गति प्रदान करने में सहायक नहीं है।
- इसमें प्राप्त निष्कर्ष सार्वभौमिक नहीं होते हैं
- यह विधि प्राथमिक स्तर और मंदबुद्धि बालकों के लिए उपयोगी नहीं है
- जब तक शिक्षक की तैयारी ना हो वह इस विधि का परिणाम मुलक प्रयोग नहीं कर सकता।
- सभी विषय वस्तु का ज्ञान इस विधि से संभव नहीं है
- इस विधि द्वारा पाठ्यक्रम को निर्धारित समय में पूरा नहीं होता है।
- अन्वेषण विधि में शिक्षक की भूमिका
- विषय विशेषज्ञ के रूप में
- कुशल मार्गदर्शक के रुप में
- प्रेरक के रूप में
- सलाहकार एवं सुविधा दाता के रूप में।
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