समस्या समाधान विधि ( problem solving method )
समस्या समाधान का अर्थ ( Meaning of problem resolution )
विद्यार्थियों को शिक्षण काल में अनेक समस्याओं या कठिनाइयों
का सामना करना पड़ता है। जिनका समाधान उसे स्वयं करना पड़ता है। समस्या समाधान का
अर्थ है लक्ष्य को प्राप्त करने आने समस्याओं का समाधान इसको समस्या हल करने की विधि भी कहते हैं।
समस्या समाधान विधि परिभाषा ( Problem Resolution Method Definition )
वुडवर्थ (Woodworth) “समस्या-समाधान उस समय प्रकट होता है जब उद्देश्य की
प्राप्ति में किसी प्रकार की बाधा पड़ती है। यदि लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग सीधा और
आसन हों तो समस्या आती ही नहीं।"
स्किनर (Skinner) “समस्या-समाधान एक ऐसी रूपरेखा है जिसमें सर्जनात्मक चिंतन तथा तर्क दोनों होते हैं।"
समस्या समाधान विधि के महत्व (Importance of problem solving method )
समस्या समाधान विधि मनोवैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक विधि है। समस्या विद्यार्थी के पाठ्यवस्तु से संबंधित होती है। इसमें छात्र को करके, सीखने के अवसर उपलब्ध होते हैं।
इस विधि में विद्यार्थी के सामने एक समस्या रखी जाती है और विद्यार्थी उसका हल ढूंढने के लिए प्रयास करता है। अध्यापक हल ढूंढने के लिए प्रेरित करता है।
समस्या समाधान विधि के सोपान (Steps of Problem Solving Method)
- समस्या की पहचान
a.
समस्या का स्पष्ट विवरण अथवा समस्या कथन
b.
समस्या का स्पष्टीकरण विद्यार्थियों द्वारा आपस में चर्चा
c.
समस्या का परिसीमन समस्या का क्षेत्र निर्धारित करना
- परिकल्पना का निर्माण - जांच एवं परीक्षण के लिए परिकल्पना का निर्माण।
- प्रयोग द्वारा परीक्षण - परिकल्पनाओं
का परीक्षण करना
- विश्लेषण
- समस्या के निष्कर्ष पर पहुंचना
समस्या समाधान विधि के गुण (Properties of the Problem Solving Method)
- विधि से विधार्थी सहयोग करके सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।
- दाती समस्या को हल करने की प्रक्रिया में शामिल होकर उसे हल करना सीखते हैं।
- विद्यार्थी परिकल्पना निर्माण करना सीखते हैं और इस प्रक्रिया से उसकी कल्पनाशीलता में वृद्धि होती है।
- विद्यार्थी जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करना सीखते हैं।
- यह विधि विद्यार्थी में वैज्ञानिक अभिवृत्ति के विकास में सहायक हैं।
समस्या समाधान विधि के दोष Problem resolution method faults
- इस विधि के प्रयोग में समय ज्यादा लगता है।
- पाठ्य-पुस्तक का अभाव होता है।
- इस विधि में त्रुटियाँ प्रभावहीन के कारण होती है।
- गति धीमी रहती हैं।
- इस विधि से हर विषय वस्तु का शिक्षण नहीं किया जा सकता है।
- समस्या उचित रूप से चुनी हुई न हो तो वह असफल रहती हैं।
- चूंकि इस विधि में प्रायोगिक कार्य भी करना होता है। अतः शिक्षक का प्रायोगिक कार्य में दक्ष होना आवश्यक होता है।
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