Samas in hindi तत्पुरुष समास ( tatpurush samas)
जिस समस्त पद में कर्म कारक से अधिकरण कारक तक के चिह्नो का लोप पाया जाता है। उसे तत्पुरष समास कहते हैं।
पहचान
कारक चिह्न विभक्ति
कर्ता ने प्रथमा
कर्म को द्वितीया
करण से ( के द्वारा) तृतीया
सम्प्रदान के लिए चतुर्थी
अपादान से (अलग होने के लिए पंचमी
सम्बन्ध का, के, की षष्ठी
अधिकरण में, पर सप्तमी
सम्बोधन हे, अरे, ओ सम्बोधन
(1)
कर्म तत्पुरष इसमें 'को' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
उदाहरण (tatpurush samas udaharan)
करण तत्पुरष इसमें 'से' अथवा 'द्वारा' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
सम्प्रदान तत्पुरुष समास इसमें 'के लिए' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
अपादान तत्पुरष समास इसमें 'से' (अलग होने के अर्थ में) कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
सम्बन्ध तत्पुरष समास इसमें 'का,की' आदि कारक चिह्नों का लोप पाया जाता है।
अधिकरण तत्पुरष समास इसमें 'में, पे, पर' आदि कारक चिह्नों का लोप पाया जाता है।
परिभाषा जब किसी समस्त पद के प्रथम पद में कारक चिह्न किसी न किसी रूप में विद्यमान रहे अर्थात प्रथम पद संस्कृत के विभक्ति रूपों की तरह लिखा जाये तो वहां अलुक तत्पुरुष समास होता है।
‘अलुक’ का शाब्दिक अर्थ है – अलोप या लोप का अभाव
उदाहरण
परिभाषा जब प्रथम पद संख्या या अवयव हो तथा दूसरा पद कृदंत हो अर्थात कोई प्रत्यय जुड़ा हो, जिसका स्वतंत्र प्रयोग प्राय: न होता हो, तब उपपद समास कहलाता है।
उदाहरण
‘निषेध या अभाव' आदि अर्थ में जब प्रथम पद अ, अन न औन ना आदि हो तथा दूसरा संज्ञा या विशेषण हो, तो नञ् तत्पुरुष समास कहलाता है।
उदाहरण
परिभाषा जब किसी समस्त पद में कारक चिह्नो के साथ साथ कुछ अन्य पद भी लुप्त हो जाते हैं, उससे लुप्त पद या मध्य पद लोपी तत्पुरुष समास कहते हैं, इस समास में लुप्त शब्द प्राय: बीच में आता है, इसलिए इसे मध्यपद लोपी तत्पुरुष समास कहते हैं।
उदाहरण
पहचान
- तत्पुरष समास में दूसरा पद प्रधान होता है।
- तत्पुरष समास में उत्तर पद प्राय: विशेष्य का काम करता है और इसका पूर्व पद विशेषण होता है।
- तत्पुरष समास में लिंग तथा वचन का प्रयोग अन्तिम पद के अनुसार होता है।
- तत्पुरुष समास के पूर्व पद में ही कारक चिह्नो का प्रयोग किया जाता है।
- तत्पुरष समास के विग्रह में कर्ता और सम्बोधन कारक को छोड़कर शेष सभी कारक चिह्नो का प्रयोग होता है।
कारक चिह्नों के आधार पर तत्पुरष के भेद:
कारक चिह्न विभक्ति
कर्ता ने प्रथमा
कर्म को द्वितीया
करण से ( के द्वारा) तृतीया
सम्प्रदान के लिए चतुर्थी
अपादान से (अलग होने के लिए पंचमी
सम्बन्ध का, के, की षष्ठी
अधिकरण में, पर सप्तमी
सम्बोधन हे, अरे, ओ सम्बोधन
(1)
कर्म तत्पुरष इसमें 'को' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
उदाहरण (tatpurush samas udaharan)
- चित्त चोर – चित्त को चुराने वाला
- मनोहर – मन को हरने वाला
- जेबकतरा – जेब को काटने वाला
- मुंहतोड़ – मुंह को तोड़ने वाला
- सर्वज्ञ – सब को जानने वाला
- विद्याधर - विद्या को धारण करने वाला
- व्यक्तिगत – व्यक्ति को गत- गया हुआ
- सर्वज्ञ – सर्व (सब) को जानने वाला
- जितेन्द्रिय - इन्द्रियों को जीतने वाला
- विकासोन्मुख – विकास को उन्मुख
(2)
करण तत्पुरष इसमें 'से' अथवा 'द्वारा' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
- मोहांध – मोह से अंधा
- मेघाच्छन्न – मेघ से आच्छन्न (ढका हुआ)
- अश्रुपूर्ण – अश्रु से पूर्ण
- दयार्द्र – दया से आर्द्र
- ईश्वर प्रदत्त – ईश्वर द्वारा प्रदत्त
- तुलसी कृत – तुलसी द्वारा रचित
- रोग पीड़ित – रोग से पीड़ित
- मनगढ़ंत – मन से गढ़ा हुआ
- रेखांकित – रेखा के द्वारा अंकित
- वाग्युद्ध – वाक् (वाणी ) से युद्ध
(3)
सम्प्रदान तत्पुरुष समास इसमें 'के लिए' कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
- रंगमंच – रंग के लिए मंच
- गृहस्थाश्रम – गृहस्थ के लिए आश्रम
- हवन सामग्री – हवन के लिए सामग्री
- यज्ञशाला – यज्ञ के लिए शाला
- गोशाला – गायों के लिए शाला
- रणभूमि – रण के लिए शाला
- कारावास – कारा के लिए आवास
- रसोईघर – रसोई के लिए घर
- पाठशाला – पाठ (पढ़ने) के लिए शाला
(4)
अपादान तत्पुरष समास इसमें 'से' (अलग होने के अर्थ में) कारक चिह्न का लोप पाया जाता है।
- पापमुक्त – पाप से मुक्त
- जन्मांध – जन्म से मुक्त
- आदिवासी – आदि से वास करने वाला
- इन्द्रियातीत – इन्द्रियों से अतीत
- नरक भय – नरक से भय
- राजद्रोह – राज से द्रोह
- हृदयहीन – हृदय से हीन
- आशातीत – आशा से परे
(5)
सम्बन्ध तत्पुरष समास इसमें 'का,की' आदि कारक चिह्नों का लोप पाया जाता है।
- अक्षांश – अक्ष का अंश
- स्वतंत्र – स्व का तंत्र
- फुलवाड़ी – फूलों की बाड़ी
- सौरमंडल – सूर्य का मण्डल
- अमचूर – आम का चूर
- सेनाध्यक्ष – सेना का अध्यक्ष
- मंत्रिपरिषद – मंत्रियों की परिषद्
- अश्वमेध – अश्व का यज्ञ
- मनोविज्ञान – मन का विज्ञान
(6)
अधिकरण तत्पुरष समास इसमें 'में, पे, पर' आदि कारक चिह्नों का लोप पाया जाता है।
- आत्मनिर्भर – स्वयं पर निर्भर
- आपबीती – स्वयं पर बीती
- तल्लीन – उसमें लीन
- तीर्थाटन - तीर्थ में यात्रा
- सर्वव्याप्त – सब में व्याप्त
- पुरूषोत्तम – पुरूषों में उत्तम
- नराधम – नरों में अधम
तत्पुरुष समास के भेद (tatpurush samas ke prakar)
- अलुक तत्पुरुष समास
- उपपद तत्पुरुष समास
- नञ् तत्पुरुष समास
- लुप्तपद तत्पुरुष समास
- अलुक तत्पुरुष समास
परिभाषा जब किसी समस्त पद के प्रथम पद में कारक चिह्न किसी न किसी रूप में विद्यमान रहे अर्थात प्रथम पद संस्कृत के विभक्ति रूपों की तरह लिखा जाये तो वहां अलुक तत्पुरुष समास होता है।‘अलुक’ का शाब्दिक अर्थ है – अलोप या लोप का अभाव
उदाहरण
- युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर
- सूबेदार – सूबे (स्थान) का दार (मालिक)
- थानेदार – थाने का दार
- ठेकेदार – ठेके का दार
- शुभंकर – शुभ को करनेवाला
- मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाला
- धनंजय – धन को जीतने वाला
- वाचस्पति – वाणी का पति
- खेचर – ख ( आकाश) में विचरण करने वाला
- अन्तेवासी – पास में रहने वाला
2. उपपद तत्पुरुष समास
परिभाषा जब प्रथम पद संख्या या अवयव हो तथा दूसरा पद कृदंत हो अर्थात कोई प्रत्यय जुड़ा हो, जिसका स्वतंत्र प्रयोग प्राय: न होता हो, तब उपपद समास कहलाता है।
उदाहरण
- अम्बुद – जल को देने वाला
- जलचर – जल में विचरण करने वाला
- दिनकर – दिन को करनेवाला
- नभचर – नभ में विचरण करने वाला
- निशाचर – निशा में विचरण करने वाला
- पंकज – पंक में जन्म लेने वाला
- कुम्भकार – कुम्भ को बनाने वाला
- मूर्तिकार – मूर्ति को बनाने वाला
- महीप – यही को पालने वाला
- स्वर्णकार – स्वर्ण का काम करने वाला
3. नञ् तत्पुरुष समास
‘निषेध या अभाव' आदि अर्थ में जब प्रथम पद अ, अन न औन ना आदि हो तथा दूसरा संज्ञा या विशेषण हो, तो नञ् तत्पुरुष समास कहलाता है।
उदाहरण
- असंभव – न संभव
- अयोग्य – न योग्य
- अस्थिर – न स्थिर
- अकारण – न कारण
- अनावश्यक – न आवश्यक
- अनाचार – न आचार
- अचेतन – न चेतन
- अपवित्र – न पवित्र
- नगण्य – न गण्य
- अनचाहा – न चाहा
- अनदेखा – न देखा
4. लुप्तपद तत्पुरुष समास
परिभाषा जब किसी समस्त पद में कारक चिह्नो के साथ साथ कुछ अन्य पद भी लुप्त हो जाते हैं, उससे लुप्त पद या मध्य पद लोपी तत्पुरुष समास कहते हैं, इस समास में लुप्त शब्द प्राय: बीच में आता है, इसलिए इसे मध्यपद लोपी तत्पुरुष समास कहते हैं।
उदाहरण
- कन्यादान – कन्या को किया हुआ दान
- जलकुंभी – जल में उत्पन्न होने वाली कुंभी
- गुडधानी – गुड़ में मिली हुई धानी
- दहीबड़ा – दही में डूबा बड़ा
- रसगुल्ला – रस में डूबा हुआ गुल्ला
- पर्णशाला – पर्ण से निर्मित शाला
- पवन चक्की – पवन से चलने वाली चक्की
- हाथकरघा – हाथों से चलने वाला करघा
- पनडुब्बी – पानी में डूबकर चलने वाला पोत
- ऊंटगाड़ी – ऊंट से चलने वाली गाड़ी
Good
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