Noun in hindi : संज्ञा (sangya) और उसके भेद, प्रकार एवं उदाहरण
संज्ञा की परिभाषा (Noun in Hindi Definition) -किसी वस्तु व्यक्ति स्थान या भाव दशा के नाम को संज्ञा
कहते है, अर्थात् निर्जीव व सजीव पदार्थों के नाम को संज्ञा
कहते हैं।
संज्ञा - शाब्दिक अर्थ - नाम - सम् + ज्ञा = सम्यक् ज्ञान अर्थात् अच्छी तरह ज्ञान कराने वाला
संज्ञा के उदाहरण
संज्ञा के भेद- noun in hindi
नोट: - मुख्य रूप से सज्ञां के तीन प्रकार होते हैं समूह/समुदायवाचक सज्ञां ओर द्रव्यवाचक संज्ञा जातिवाचक सज्ञां के भेद ही माने जाते हैं। इसलिए सज्ञां को तीन भागों में बांटा गया है
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
- जातिवाचक संज्ञा (Common noun)
- समूह/समुदायवाचक संज्ञा (Collective Noun)
- द्रव्यवाचक/पदार्थवाचक संज्ञा (Material noun)
- भाववाचक संज्ञा (Abstract
noun)
मुख्य रूप से सज्ञां के तीन प्रकार होते हैं
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा
परिभाषा- वे शब्द जो किसी एक ही व्यक्ति, एक ही वस्तु, एक ही स्थान या एक ही प्राणी विशेष का बोध कराते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है;
व्यक्तिवाचक संज्ञा उदाहरण
नदियों के माम - गंगा, यमुना, सरयू, कावेरी, चम्बल, झेलम,चिनाब
गाँवों के नाम - जोबनेर, बेगस किठाना,
जिलों के नाम - भरतपुर, अलवर, टोंक, झुन्झुनूं, सीकर
राज्यों के नाम - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश , दिल्ली, हरियाणा, गोवा
देशों के नाम - भारत, जाग्लादेश, श्रीलंका, अमेरिका, जापान, फिनलैंड
विद्यालयों के नाम - आदर्श पब्लिक स्कूल, , टेगौर पाब्लिक स्कूल, नदबई, जयपुर, भगतसिंह
सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जयपुर
सागरों के नाम - काला सागर, लाल सागर
महासागरों के नाम - प्रशान्त महासागर, हिंद महासागर,
वारों के नाम - रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार
महीनों के नाम - जनवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जुन, जुलाई, अगस्त, सितंबर, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ
पर्वतों के नाम - हिमालय पर्वत, रॉकी पर्वत, अरावली पर्वत
दिशाओं के नाम - पर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
त्योहारों/उत्स्व :- होली, क्रिसमस, ईद
चौकों/सड़कों के नाम - चादनी चौक, सुभाष चौक, मनु मार्ग, मंगल
मार्ग , लाल चौक, चांदनी चौक
पुस्तकों के नाम - राम चरित मानस, श्रीमद् भागवत् महापुराण, श्री वाल्मीकि रामायण, बाईबल, गोदान
समाचार पत्रों - राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, नवभारत टाइम्स, पंजाब केसरी
युद्धों के नाम - पानीपत का युद्ध, खानवा का युद्ध, हल्दीघाटी
युद्ध, खमनोर युद्ध
(2) जातिवाचक संज्ञा
परिभाषा
- वे शब्द जो किसी व्यक्ति वस्तु, स्थान की पूरी जाति का बोध कराते हैं, अर्थात् वर्ग का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं,
शाब्दिक अर्थ-समूह/समुदाय/वर्ग
जातिवाचक संज्ञा उदाहरण
प्राणी :- मनुष्य, गाय, घोड़ा, भेड़, भैंस
वस्तु :- मशीन, पुस्तक, दूध
स्थान:- नदी, विद्यालय, गांव, पहाड़
नदी, पहाड़ , घर, पाठशाला, नगर, प्रांत, देश, झरना, मूड़ा, पंखा, चौक, बैग, बादल, लड़का, लड़की, कोचिंग, विद्यालय, कुत्ता, फल, पर्वत, अध्यापक
जातिवाचक सज्ञा का संज्ञा
(क) समूह/समुदायवाचक संज्ञा
(ख) द्रव्य/पदार्थवाचक संज्ञा
(क) समूह/समुदायवाचक संज्ञा वे
शब्द जो किसी चीज के समूह विशेष
का बोध कराते है, उन्हें समूह या समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं
समूह/समुदायवाचक संज्ञा उदाहरण सभा, दल, गिरोह, कुंज, मंडल, पुलिस, सेना, कक्षा, गोष्ठी, मंडली, गुच्छ, फौज, भीड़, परिवार, ढेर, गट्ठर, मेला, जुलूस, झुंड, मवेशी, टीम, समिति, आयोग, समुदाय, कतार, गड्डी, झुरमुट, टोली, प्रदर्शनी, राशि, पुंज, रेवड़, शिविर, संघ, समाज इत्यादि।
(ख) द्रव्य/पदार्थवाचक संज्ञा - वे शब्द जो किसी पदार्थ विशेष का बोध
कराते है, उन्हें द्रव्य/पदार्थवाचक संज्ञा कहते है;
द्रव्य/पदार्थवाचक संज्ञा उदाहरण -सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, जस्ता, लोहा, दूध, पानी, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन,
पारा इत्यादि।
(3) भाववाचक संज्ञा-
वे शब्द जो किसी व्यक्ति, वस्तु,स्थान के भाव या दशा (स्वभाव या अवस्था) का बोध कराते हैं उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते है
भाववाचक संज्ञा उदाहरण
बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।
भाववाचक संज्ञा दो प्रकार की होती हैं।
(अ) मूल भाववाचक संज्ञा
(ब) यौगिक भाववाचक संज्ञा
(अ) मूल भाववाचक संज्ञा-वे भाववाचक संज्ञाएँ जो मूल भावों से बनी
है, उन्हें मूल भाववाचक संज्ञा कहते हैं,
जैसे-सुख, दुःख, इच्छा, आशा, काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, घणा, दया, करूणा,
प्रेम, सुगन्ध इत्यादि ।
(ब) यौगिक भाववाचक संज्ञा–वे भाववाचक संज्ञाएँ जो व्यक्ति वाचका जातिवाचक, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय पदों से बनती हैं, उन्हें यौगिक भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
व्यक्तिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना
व्यक्तिवाचक
|
भाववाचक
|
शिवत्व
|
|
राम
|
रामत्व
|
विष्णु
|
विष्णुत्व
|
ब्रह्म
|
ब्रह्मत्व
|
सती
|
सतीत्व
|
जातिवाचक से भाववाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक
|
भाववाचक
|
शिशु
|
शिशुत्व/शिशुता/शैशव
|
गुरु
|
गुरुत्व
|
पुरुष
|
पुरुषत्व पौरुष
|
देव
|
देवत्व
|
खेत
|
खेती
|
बाप
|
बपौती
|
दादा
|
दादागिरी
|
हिन्दु
|
हिन्दुत्व
|
वेद
|
वेदत्व
|
चोर
|
चोरी
|
बुढ़ा
|
बुढ़ापा
|
नर
|
नरत्व
|
पिता
|
पितृत्व
|
आदमी
|
आदमियत
|
स्त्री
|
स्त्रीत्व
|
राष्ट्र
|
राष्ट्रीयता
|
शठ
|
शठता
|
मनुष्य
|
मनुष्यता
|
पशु
|
पशुता
|
बच्चा
|
बचपन
|
लड़का
|
लड़कपन
|
दास
|
दासत्व
|
नोट-कोई भी संज्ञा शब्द रखने पर विशेषता बताये तो विशेषण नहीं बताये तो भाववाचक संज्ञा होती है।
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम
|
भाववाचक
|
अहम्
|
अहंकार
|
अपना
|
अपनापन/अपनापा
|
आप
|
आपा
|
निज
|
निजत्व
निजता
|
आत्म
|
आत्मीयता
|
मम्
|
ममत्व/ ममता
|
मेरा
|
मेरापन
|
तेरा
|
तेरापन
|
सर्व
|
सर्वस्व
|
स्व
|
स्वत्व
|
विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाना
विशेषण
|
भाववाचक
|
अच्छा
|
अच्छाई
|
अवसरवादी
|
अवसरवादिता
|
आधुनिक
|
आधुनिकता
|
आलसी
|
आलस्य
|
उचित
|
औचित्य
|
उदार
|
उदारता
|
ऋज
|
ऋजुता
|
कठोर
|
कठोरता
|
कातर
|
कातरता
|
कुटिल
|
कुटिलता/कौटिल्य
|
कुलीन
|
कुलीनता
|
कुशल
|
कुशलता
|
गन्दा
|
गन्दगी
|
चतुर
|
चतुरता
|
चपल
|
चपलता
|
चारू
|
चारुता
|
चालबाज
|
चालबाजी
|
तपस्वी
|
तपस्या
|
तीव्र
|
तीव्रता
|
दानी
|
दानशीलता
|
नवीन
|
नवीनता
|
प्रपच
|
प्रपंची
|
बुरा
|
बुराई
|
भव्य
|
भव्यता
|
मलिन
|
मलिनता
|
मोहक
|
मोह
|
यशस्वी
|
यश
|
व्यथित
|
व्यथा
|
लघु
|
लघुता, लघुत्व, लाघव
|
सुंदर
|
सौंदर्य, सुंदरता
|
एकता,
एकत्व
|
|
गरीब-
|
गरीबी
|
चालाक
|
चालाकी
|
लाल
|
लाली,
लालिमा
|
चतुर
|
चतुराई
|
क्रिया पदों से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया
|
भाववाचक
|
उबालना
|
उबाल
|
खींचना
|
खिंचाव
|
खेलना
|
खेल
|
खोजना
|
खोज
|
घबराना
|
घबराहट
|
चमकना
|
चमक
|
चलना
|
चलन, चाल
|
चीखना
|
चीख
|
चुनना
|
चुनाव
|
छींकना
|
छींक
|
झाँकना
|
झाँकी
|
झुंझलाना
|
झुंझलाहर
|
झुकना
|
झुकाव
|
डरना
|
डर
|
तौलना
|
तौल/तुलाई
|
थपथपाना
|
थपकी
|
दबाना
|
दाब
|
देखना
|
दर्शन
|
दौड़ना
|
दौड़
|
पढ़ना
|
पढ़ाई
|
पालन
|
पालना
|
बोलना
|
बोल
|
रोना
|
रुलाई
|
लचकना
|
लचक
|
लूटना
|
लूट
|
सजाना-
|
सजावट
|
सीखना
|
सीख
|
हँसना
|
हंसी
|
बिकना-
|
बिकाऊ
|
गाना
|
गवैया
|
अव्यय पदों से भाववाचक संज्ञा बनाना
अव्यय
|
भाववाचक
|
बहुत
|
बहतायत
|
जल्दी
|
जल्दबाजी
|
नीचे
|
निचाई/नीचता
|
समीप
|
समीपता/सामीप्य
|
दूर
|
दूरी
|
देर
|
देरी
|
नोट-
नियम-1 तीनों संज्ञाएँ आपस में परिवर्तित हो जाती हैं, भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक में, जातिवाचक का भाववाचक संज्ञा के रूप में तथा जातिवाचक, व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में तो व्यक्तिवाचक जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हो जाती है।
सुखद - विशेषण, हिंदू धर्म - व्यक्तिवाचक, हिन्दू-जातिवाचक यदि भाववाचक संज्ञा शब्दों को बहवचन बना दिया जाये तो वे जातिवाचक संज्ञा बन जाती हैं,
जैसे
अच्छाई
|
अच्छाइयाँ
|
पढ़ाई
|
पढ़ाईयाँ
|
आवश्यकता
|
आवश्यकताएँ
|
चतुराई
|
चतुराईयाँ
|
चोरी
|
चोरियाँ
|
गहराई
|
गहराईयाँ
|
ऊँचाई
|
ऊचाईयाँ
|
नियम-2-व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग।
व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द बहुतों का बोध कराने लग जाये
तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है,
जैसे__
1. आज कोई भी हरिश्चन्द्र नहीं है
2. भारत में जयचन्दों की कमी नहीं है।
3. भारत तो सीता सावित्री का देश है।
4. वह स्त्री तो गंगा है।
5. विभीषणों से बचो।
6. पुणेन्द्र तो एकलव्य है, जो गुरु के लिए कुछ भी दे सकता है।
7. सूरदास कोई भजन सुना दो।
8. दारा सिंह कलियुग का भीम है।
9. कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहा थे।
10. गाँधीजी अपने समय के कृष्ण जाता थे|
नियम 3 -जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में अयोग-जब जातिवाचक संज्ञा शब्द एक का बोध कराये तो वह
व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाती है।
- महात्माजी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे।
- पटेल ने राजस्थान का एकीकरण किया था।
- स्वतंत्रता के बाद सरदार रियासतें समाप्त की थी।
- पंडित जी देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
- शास्त्री जी भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री थे।
- पुरी की पवित्रता सर्वविदित है।
- अब दूरियां भी नजदीकियां बन गयी है।
नियम 4 - कुछ विशेषण शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होने पर जातिवाचक सज्ञां
में माने जाते हैं
- गरीबों की दया करो।
- बड़ों का आदर करो।
भाव वाचक संज्ञा एवं विशेषण में अन्तर-
यदि किसी शब्द के बाद कोई संज्ञा शब्द रखे यदि वह शब्द उस संज्ञा की विशेषता बतलाये तो वह विशेषण होगा और यदि विशेषता नहीं बतलाये तो वह भाव वाचक संज्ञा होगा।
उदाहरण
सुखी व्यक्ति-विशेषण
सुख व्यक्ति-भाव वाचक संज्ञा
सुखी व्यक्ति-विशेषण
सुख व्यक्ति-भाव वाचक संज्ञा
आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है धन्यवाद - Hindi Grammar
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