प्रत्यय (suffix)- परिभाषा, भेद और उदाहरण: हिंदी Suffix In Hindi Grammar
प्रत्यय परिभाषा-वे शब्दांश जो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते है, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
नोट :- जुड़ने से शब्द या शब्दांश में संधि नहीं होती बल्कि शब्द के अन्तिम वर्ण में स्वर की मात्रा जुड़ जाती है तथा व्यंजन होने पर ज्यों का त्यों जुड़ जाता है।
जैसे
चर्म + कार = चर्मकार
थाने + दार = थानेदार
(1) प्रत्यय स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त नहीं होते हैं।
(2) ये स्वयं अर्थवान नहीं होते हैं।
(3) ये किसी शब्द के अन्त मं जुड़कर नये शब्द का निर्माण करते हैं।
(4) किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषताला देते हैं।
(5) ये शब्द के अत मे जुड़कर ही अर्थवान् होते हैं।
महत्त्वपूर्ण प्रश्र
महत्त्वपूर्ण प्रश्र
- प्रत्यय कितने होते हैं? 2
- तद्धित प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? 6
- हिंदी में कृत प्रत्यय की संख्या कितनी है? 5
प्रत्यय के प्रकार (types of suffix in hindi)
- कृत् या कृदन्त प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
(1.) कृत् या कृदन्त प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातुओं (क्रिया के मूल रूप) के अन्त में जोड़े जाते है, उन्हें कृत् या कृदन्त प्रत्यय कहते हैं।
जैसे
पढ़ + आई = पढ़ाई
लिख + आई = लिखाई
कृदन्त प्रत्यय के भेद
कृदन्त प्रत्यय के भेद
कृदन्त प्रत्यय के पाँच भेद हैं
- कर्तृ वाचक कृदन्त प्रत्यय
- कर्म वाचक कृदन्त प्रत्यय
- करण वाचक कृदन्त प्रत्यय
- भाव वाचक कृदन्त प्रत्यय
- विशेषण वाचक कृदन्त प्रत्यय
(1) कर्तृ वाचक कृदन्त प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो धातुओं के अन्त में
जुड़कर कर्त्ता वाचक शब्दों का निर्माण करते है, उन्हें कर्तृ वाचक कृदन्त प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय युक्त शब्द
- अक्कड़ - नचक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़, भुलक्कड़, बुझक्कड़, घुमक्कड़
- इयल - मरियल, सडियल, अडियल
- ऐया - गवैया, खिवैया, नचैया, बचैया
- ता- श्रोता, वक्ता, ज्ञाता, दाता
- हार - पालनहार, होनहार, राखनहार, तारनहार
- ऐत – लडैत, लुटैत, चढैत, टिकैत
- अक - सूचक, मादक, याजक, छेदक, उत्तेजक, साधक, तारक, प्रेरक,भ्रामक, मारक, हारक
- इया - बढ़िया, जड़िया, घटिया, गढ़िया, डाकिया, पर्वतिया
(2.) कर्म वाचक कृदन्त प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो धातुओं के अन्त में जुड़कर कर्म बोधक शब्दों का निर्माण करते है, उन्हें कर्म वाचक कृदन्त
प्रत्यय कहते हैं
प्रत्यय युक्त शब्द
1.
औना - बिछौना, खिलौना, घिनौना
2.
नी - कहानी, फूंकनी, सूंघनी, चटनी, ओढ़नी, कतरनी, धौंकनी, लेखनी, छलनी
3. ना - गाना, दाना, ओढ़ना, खाना
(3) करण वाचक कृदन्त प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो धातुओं के अन्त में जुड़कर
कर्म के साधन या माध्यम का बोध कराने वाले शब्दों का निर्माण करते है उन्हें करण वाचक कृदन्त प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय युक्त शब्द
- आ - मेला, पूजा, ठेला, झूला, घेरा, पोता, झारा
- न – ढक्कन, जामन, झाड़न, पोंछन, बेलन
- नी - लेखनी, सुमरनी, कतरनी, छलनी, ओढ़नी, धौंकनी, औटनी, कतरनी, ढकनी
- त्र - नेत्र, श्रोत्र, पात्र, अस्त्र, शस्त्र
- अन - नयन, यान, वदन, चरण
- ना - बेलना, घोटना, कसना, मारना, ताड़ना
(4) भाव वाचक कृदन्त प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो धातुओं के अन्त में जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते है, उन्हें भाव वाचक
कृदन्त प्रत्यय कहते हैं
प्रत्यय युक्त शब्द
- अ - पुकार, मेल, उबाल, समझ, चमक, चाल, मार, कूद, माँग
- अक - बैठक, उठक, कसक
- अत् (त) - बचत, चाहत, बढत, पढत, लिखत
- अन - उलझन, फिसलन, घुटन, ऐंठन, चलन
- अंत - रटंत, भिडंत, लडन्त, गढन्त, पढन्त, लिपटन्त
- आई - पढ़ाई, लिखाई, चढ़ाई, लड़ाई, कटाई, सिंचाई, पिटाई, खुदाई, सुनाई
- पिटाई, बुनाई, सिलाई, छपाई, कताई, चराई
- आ - घेरा, झटका, जोड़ा, फेरा, लचका, खटका, पूजा, तृषा, उतारा
- आवा - पछतावा, बुलावा, दिखावा, भुलावा, बुलावा, छलावा, छुड़ावा
- आव - चढाव, बचाव, छिड़काव, बहाव, खिंचाव, दबाव, रखाव
- आवट - मिलावट, लिखावट, बनावट, सजावट, रुकावट, दिखावट, थकावट, तरावट, गिरावट
- आहट - घबराहट, टकराहट, चिल्लाहट, विलविलाहट, गुर्राहट, सुगबुगाहट, बौखलाहट, चिल्लाहट, भनभनाहट
- ती - घटती, गिरती, भरती. पावती, चुकती, बढ़ती,
- चढती, फबती
- आन - थकान, ढलान, उठान, मिलान, चलान, लगान, लदान
- ई - बोली, चोरी, हँसी, घुडकी, धमकी, कही, मरी, बोली, घुड़की
- नी - मँगनी, होनी भरनी, करनी
(5) विशेषण वाचक कृदन्त प्रत्यय-
शब्द जो किसी धात के अन्त में जुड़कर विशेषण वाची शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें विशेषण
वाचक कृदन्त प्रत्य कहते है।
प्रत्यय युक्त शब्द
- इत - चिन्तित, याचित, कथित
लिखित
- अनीय - पठनीय, कथनीग, करणीय, अभिनंदनीय, गृहणीय दर्शनीय, स्मरणीय, वरणीय, माननीय
- तव्य - कर्तव्य, द्रष्टव्य, ध्यातव्य, वक्तव्य, ज्ञातव्य
- मान - यजमान, वर्तमान, विद्यमान, क्रियमाण
- य - गद्य, पद्य, गम्य, वाच्य
2. तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो संज्ञा सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर कर्त्ता वाचक शब्दों का निर्माण करते है। उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते है।
*
तद्धित प्रत्यय के भेद-
तद्धित प्रत्यय के सात भेद है
- कर्तृ वाचक तद्धित प्रत्यय
- भाव वाचक तद्धित प्रत्यय
- गुण वाचक तद्धित प्रत्यय
- अपत्य वाचक या संतान बोधक प्रत्यय
- संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
- ऊनता वाचक तद्धित प्रत्यय
- स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
(1) कर्तृवाच्य तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा या सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर कर्ता वाचक शब्दों का निर्माण
करते है, उन्हें कर्तृ वाचक तद्धित प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द
- आर __सुनार, लुहार, गँवार, कुम्भकार, चमार, कुम्हार
- आरी - भिखारी, पुजारी
- आरा - बंजारा, घसियारा, भटियारा, हत्यारा
- एरा - सपेरा, घसेरा, कमेरा, लखेरा
- ऊं - बजारू, गँवारु, गरजू, पेटू, नक्कू
- इया - आढतिया, भरतपुरिया, दुखिया, छलिया, मुखिया, रसिया
- ची - नकलची, अफीमची, बाबरची, चिलमची, खजानची
- दान - कलमदान, फूलदान, कूडादान, पानदान, पीकदान
- वान
- गाड़ीवान, गुणवान, कोचवान, पहलवान, धनवान
- कार - शिल्पकार, कुंभकार, गीतकार, सलाहकार, पत्रकार
- एडी - गँजेड़ी, भँगेड़ी, नसेड़ी
- हारा - लकड़हारा, पनिहारा, मनिहारा
- उआ
- टहलुआ, गेरुआ, महुआ, कठुआ
- वाला - दूधवाला, घरवाला, फलवाला, गाड़ीवाला
(2) भाववाचक तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा या सर्वनामया विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का
निर्माण करते है, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय युक्त शब्द
- आई - चतुराई, बुराई, भलाई, सफाई, चौड़ाई, पण्डिताई, लम्बाई, अच्छाई, ऊँचाई
- आटा - भर्राटा, घर्राटा, सर्राटा, खर्राटा, फर्राटा
- आस - खटास, मिठास, पिटास, भडास
- आहट - गर्माहट, कडवाहट, चिकनाहट
- इमा - लालिमा कालिमा, गरिमा, हरीतिमा, पूर्णिमा, अरुणिमा, मधुरिमा, पीतिमा, अणिमा
- ई - सावधानी बुद्धिमानी, मेहरबानी, चोरी, गर्मी, सर्दी, लाली, खेता दोस्ती, सफेदी, नमी, खुशी
- ता – सुन्दरता, मुर्खता, मनुष्यता, दानवता, मानवता, मधुरता, विवशता, लघुता, मित्रता
- त्व - लघुत्व, महत्त्व, प्रभुत्व, मनुष्यत्व, गुरुत्व, बंधुत्व, नेतृत्व
- आपा (पा) - बुढ़ापा, मुटापा
- इम - अग्रिम, रक्तिमा पश्चिम
- य - सौख्य, पार्थक्य, कार्पण्य, गार्हस्थ्य, वैषम्य, दारिद्रय, सौन्दर्य, ऐक्य, औद्धत्य, माहात्म्य, वात्सल्य, काव्य, साहित्य औचित्य (उचित), सामान्य (समान), माधुर्य, मालिन्य, लावण्य, कौमार्य, सान्निध्य
- पन – लकड़पन, बचपन, अपनापन, भोलापन, पागलपन, छुटपन, बांझपन
- गी – सादगी, खानगी, जिन्दगी, मर्दानगी, एकबारगी
(3) गुण वाचक तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों का बोध कराने वाले शब्दों का निर्माण करते है, उन्हें गुण वाचक
तद्धित प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय युक्त शब्द
- आ
- प्यासा, भूखा, ठण्डा, मेला, छाता, भूला, सराफा
- आऊ - पंण्डिताऊ, कछाऊ, भगाऊ, बटाऊ
- इला - रसीला, जहरीला, पथरीला, चमकीला, रंगीला
- ऐला - बनैला, विषैला, सजैला, मुछैला, धूमैला
- ला - अगला, पिछला, धुंधला, लाड़ला, बावला
- वंत - जसवन्त, धनवन्त, गुणवन्त, शीलवन्त, दयावन्त
- वाँ - दसवाँ, आठवाँ, ग्यारहवाँ, पाँचवाँ
- इष्ट - कनिष्ठ, बलिष्ठ, घनिष्ठ स्वादिष्ट, गरिष्ठ
- इत - दूषित, खण्डित, मण्डित, पण्डित
- आलु - दयालु, श्रद्धालु, कृपालु, ईर्ष्यालु, शंकालु
- हरा- इकहरा, दुहरा, सुनहरा, ककहरा, तिहरा, रूपहरा
- तन - अद्यतन, पुरातन नूतन, अधुनातन, सनातन
- वी - तेजस्वी, मायाची, मेधावी, पदवी
- इक - तार्किक, आर्थिक, नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, पाक्षिक, पौष्टिक, चामत्कारिक, सैनिक, वैणिक, गार्हिक, राजसिक, सात्त्विक
- मान - आयुष्मान् हनुमान, शक्तिमान्, कीर्तिमान् ।
(4) अपत्य वाचक (संतान बाधक)
प्रत्यय-वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा,
सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर संतान बोधक शब्दों का निर्माण करता है, उन्हें अपत्य
वाचक तद्धति
प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय युक्त
- अ - काश्यप, आदित्य वासुदेव, मागध, दानव, मारव, राघव, पाण्डव, जैन, यादव, पांचाल, सैंधव, शैव, वैष्णव, कौरव, पार्थ, पौरव
- इ - मारूति, दाशरथि, सारथि, वाल्मीकि,
सौमित्रि
- ई - जानकी, द्रौपदी, मैथिली, कैकेयी वैदही, गांधारी
- एय - कौन्तेय, गांगेय, राधेय (कर्ण) भगिनेय आंजनेय वार्ष्णेय (कृष्ण), मार्कण्डेय (मृकण्ड), अत्रेय
- य - पौलस्त्य, शांडिल्य, जामदग्न्य, चाणक्य, दैत्य
- आयन - दाण्डायन (दण्ड), कात्यायन, वात्स्यायन, मौदग्ल्यायन, मौद्गल्यायन
(5) संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर संबंधबोधक शब्दों का निर्माण
करते है, उन्हें संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय युक्त शब्द
- आल - ससुराल, गंगाल, घडियाल, ददियाल
- एरा - बहनेरा, चचेरा, फुफेरा, मौसेरा, ममेरा, ककेरा सफेरा
- ईय - भारतीय, नारकीय, स्वर्गीय, आत्मीय
- जा - भानजा, भतीजा, सूर्यजा, सतीजा, आत्मजा
- ओई - बहनोई, ननदोई
- इक- मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, आध्यात्मिक, जैविक, रासायनिक
- ई - अंगूरी, ऊनी, काग़ज़ी, भोपाली
(6)
ऊनता वाचक तद्धित प्रत्यय- वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर लघुता बोधक शब्दों का निर्माण
करते हैं, उन्हें ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते है।
प्रत्यय युक्त शब्द के
- इया - डिबिया, लठिया, लुटिया, बिटिया, चुटिया, खटिया
- ओला - मॅझोला, सपोला, खटोला
- ई - रस्सी, चिमटी, कटोरी, हथौड़ी, ढकोली, टोकरी, नाली
- डा - बछड़ा, दुखड़ा, टुकड़ा, मुखड़ा
- ली - लाडली, ढपली, टीकली
- री - कोठरी, छतरी, बाँसुरी
- टा - कलूटा, रोंगटा, चिमटा
- उआ- कलुआ, बबुआ, बचुआ
(7) स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय-
वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा सर्वनाम या विशेषण
शब्दों के अन्त में जुड़कर पुल्लिंग से स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण
करते हैं, उन्हें स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय शब्द उदाहरण
- ई - देवी, छोटी, घोड़ी, हरिणी, काकी, लड़की, पुत्री
- आ -बाला, सुता, तनया, छात्रा
- आइन - पण्डिताइन, ठकुराइन, चौधराइन
- इन- मालकिन नागिन, साँपिन, धोबिन, तेलिन,
- भिखारिन लुहारिन, पड़ोसिन
- नी - मोरनी, शेरनी, भाटनी, नटनी, ऊँटनी, जाटनी
- आनी - जेठानी, सेठानी, ठकुरानी, इद्राणी, क्षत्राणी
- इया - कुतिया, बंदरिया, पड़िया
- इनी- कमलिनी भुंजगिनी, यक्षिणी
विदेशी (अरबी-फारसी भाषा के प्रत्ययः
प्रत्यय शब्द उदाहरण
- आमा - मर्दाना, जराना, जुर्माना, हर्जाना
- आवर- दिलावर, दस्तावर, बख्तावर, जोरावर
- इंदा - परिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा, बाशिंदा
- इश - फरमाइश, पैदाइश, पैमाइश, आजमाइश
- इस्तान - कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, नख़लिस्तान
- इन -रंगीन, बेहतरीन, संगीन, हसीन
- कार - काश्तकार, पैरोकार, सरोकार, पेशकार
- ख़ोर - मुफ्तखोर, जमाखोर, आदमखोर
- गर - जादूगर, नीलगर, कारीगर, बाजीगर
- गार - यादगार, रोजगार, कामगार, मददगार
- गाह - दरगाह, चरागाह, बंदरगाह, शिकारगाह
- पोश -मेज़पोश, नकाबपोश, सफेदपोश, पलंगपोश
- बंद - बिस्तरबंद, बाजूबंद, क़लमबंद, बख़्तरबंद
- बाज़ -चालबाज़, दगाबाज़, अडगेबाज, कबूरतबाज़
- बान - मेजबान, गिरहबान, दरवान, मेहरबान
- मंद - दौलतमंद, फायदेमंद, सेहतमंद, गरजमंद, शोहरतमंद
- सार - इकसार, मिलनसार, खाकसार, शर्मसार
- गीर - राहगीर, उठाईगीर, जहाँगीर
- नशीन - परदानशीन, गद्दीनशीन, तख्तनशीन
- नवीस - अर्जीनवीस, फड़नवीस, नक्शानवीस
1. प्रथम स्वर 'अ' होने पर 'आ' में बदल जाता है
अ आ
प्रत्यय के उदाहरण
समय + इक = सामयिक
मनु + अ = मानव
यदु + अ = मारूति
पथ + एय = पाथेय
रघु + अ = राघव
मगध + अ = मागध
स्वस्थ + य
स्वास्थय
मधुर + य = माधुर्य
अदिति + य =
आदित्य
शरीर + इक = शारीरिक
समाज + इक = सामाजिक
गंगा + एय = गांगेय
अंजनि + एय =
आंजनेय
नर + आयन = नारायण
वत्स्य + आयन =
वात्स्यायन
2. प्रथम स्वर 'इ/ई/ए होने पर 'ऐ' में बदल जाता है
2. प्रथम स्वर 'इ/ई/ए होने पर 'ऐ' में बदल जाता है
इ, ई, ए, ऐ
प्रत्यय के उदाहरण
प्रत्यय के उदाहरण
इतिहास + इक =
ऐतिहासिक
नीति + इक = नैतिक
विष्णु + अ =
वैष्णव
शिव + अ = शैव
विदेह + ई =
वैदेही
केकेय + ई =
कैकेयी
अर्थ + इक = आर्थिक
निरन्तर + य =
नैरन्तर्य
वेद + इक = वैदिक
ईश्वर + य = ऐश्वर्या
एक + य = ऐक्य
निराशा + य
नैराश्य
3. प्रथम स्वर उ/ऊ/ओ होने पर 'औ' में बदल जाता है
3. प्रथम स्वर उ/ऊ/ओ होने पर 'औ' में बदल जाता है
उ, ऊ,ओ औ
प्रत्यय के उदाहरण
प्रत्यय के उदाहरण
उद्योग + इक =
औद्योगिक
योग + इक = यौगिक
भूत + इक = भौतिक
कुंती + एय =
कौन्तेय
सुन्दर + य =
सौन्दर्य
कुशल + अ = कौशल
4. प्रथम स्वर 'ऋ' होने पर 'आर्' में बदल जाता है।
4. प्रथम स्वर 'ऋ' होने पर 'आर्' में बदल जाता है।
ऋ आर्
प्रत्यय के उदाहरण
प्रत्यय के उदाहरण
गृहस्थ + य =
गार्हस्थ्य
पृथक + य = पार्थक्य
बहुत अच्छा लगा सर जी
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